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नई दिल्ली। देश में करीब सौ साल पहले हुए प्रथम भाषा सर्वेक्षण में 733 भाषाओं का पता चला था लेकिन अब हुए दूसरे भाषा सर्वेक्षण में 780 भाषाओं का पता चला है। गुजरात के वड़ोदरा स्थित भाषा शोध एवं प्रकाशन केंद्र द्वारा सात साल में किये गए इस महत्वाकांक्षी भारतीय जन भाषा सर्वेक्षण से यह मालूम हुआ है कि इस देश में 47 और भाषाएं हैं जिनका पता ब्रिटिश काल में जाॅर्ज ग्रियर्सन भी नहीं लगा पाए थे। तत्कालीन भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी ग्रियर्सन ने 1903 से 1928 के बीच यह सर्वेक्षण किया था जिससे 733 भाषाओं का पता चला था जिसमें 544 बोलियां भी थीं। सात सौ भाषा कार्यकर्ताओं और 320 भाषा विशेषज्ञों की टीम ने देश भर में घूम-घूमकर इस सर्वेक्षण को पूरा किया है। भारतीय जनभाषा सर्वेक्षण परियोजना योजना से जुड़ी दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में अंग्रेजी की प्राध्यापिका डॉ विभा सिंह चौहान ने यूनीवार्ता को एक भेंटवार्ता में बताया कि भाषा शोध केंद्र के प्रमुख डॉ जी एन डेवी के नेतृत्त्व में हुए इस अत्यंत महत्वाकांक्षी सर्वेक्षण के बाद भी यह अनुमान है कि देश में करीब 80 से 100 के बीच और भाषाएं अभी भी मौजूद हैं जिनका अभी तक सर्वेक्षण नहीं हो सका है। अगर उनकी संख्या जोड़ी जाये तो भाषाओं की संख्या 850 से ऊपर होगी। उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश हैं और इतनी भाषाई विविधता दुनिया के किसी भी देश में नहीं है। इस दृष्टि से यह एक अनोखा देश है और समृद्ध भी है कि इतनी भाषाएं और बोलियां यहां बोली जाती हैं। इससे देश की सांस्कृतिक और सामजिक विविधताओं का भी पता चलता है। श्रीमती चौहान ने गत दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में इस अनोखे सर्वेक्षण के बारे में एक व्याख्यान में विस्तार से देश की भाषाई विविधता पर प्रकाश डाला था। वह इस परियोजना के बिहार खंड की प्रधान संपादक भी हैं। यह सर्वेक्षण अगले वर्ष तक 60 खंडों में प्रकाशित करने की योजना है जिसमें से 26 का लोकार्पण पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण केवल जीवित भाषाओं पर ही किया गया। इस बीच 100 साल में कितनी बोलियां और भाषाएं मृत भी हुई होंगी लेकिन हमारी टीम ने इसका सर्वेक्षण नहीं किया। उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने अपने सर्वेक्षण में 200 भारतीय भाषाओं के समाप्त होने का खतरा बताया है लेकिन उसमे कई ऐसी भाषाएं भी हैं जो संकट में नहीं हैं। इसलिए उसका सर्वेक्षण पूरी तरह सही नहीं है।

 

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