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जयपुर । भारत सरकार नेशनल ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक श्री मुकेश जैन ने कहा कि राजस्थान में दिव्यांगों के लिए प्रत्येक जिले में एक साल में स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से दिशा एवं घरौंदा का एक-एक केन्द्र स्थापित करने का लक्ष्य है।

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श्री जैन सोमवार को अम्बेडकर भवन के सभागार में विशेष योग्यजन एवं दिव्यांगों के क्षेत्र में कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर नेशनल ट्रस्ट द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बेसहारा व लावारिस दिव्यांगों को पालने के लिए कानूनी तौर पर गार्जियन नियुक्त करने के लिए राज्य के समस्त जिलों में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में स्थानीय स्तरीय समिति का गठन होगा जिसके दो सदस्य और होंगे। समिति की प्रत्येक तीन माह में एक बार बैठक होगी जो स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से दिव्यांगों को कानूनी तौर पर गार्जियन नियुक्त करने की कार्यवाही कर नेशनल ट्रस्ट को भेजेंगे।

श्री जैन ने बताया कि 0 से 6 साल तक मानसिक विमंदित व दिव्यांगों के लिए प्रत्येक जिले में दिशा के स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से एक एक दिशा केन्द्र स्थापित किया जायेगा। प्रत्येक दिव्यांग के लिए नेशनल ट्रस्ट द्वारा 3 हजार 500 रुपये दिये जाते हैं। इसी प्रकार 18 साल से अधिक आयु के दिव्यांगों के लिए घरौंदा केन्द्र स्थापित करने की योजना है। इसमें प्रत्येक दिव्यांग की परवरिश पर प्रतिमाह 10 हजार रुपये की राशि दी जायेगी।

श्री जैन ने बताया कि नेशनल ट्रस्ट को भारत सरकार द्वारा 1999 में स्थापित किया जो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से जुड़ा है। नेशनल ट्रस्ट दिव्यांगों के मानसिक व बौद्धिक विकास के साथ साथ उनकी परवरिश के क्षेत्र में कार्य करता है। नेशनल ट्रस्ट दिव्यांगों के मानसिक व बौद्धिक विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान करने का काम करता है।

बैठक में उप निदेशक श्री कनिष्क सैनी, उप निदेशक विशेष योग्यजन श्रीमति अंजना मानव, सहायक निदेशक श्री संदीप कुमार व दिव्यांगों के क्षेत्र में कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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