Share

हैलो बीकानेर, चंद्रशेखर जोशी। बीकानेर की राजकीय महारानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में 64वीं जिला स्तरीय जूडो प्रतियोगिता (14 वर्ष छात्रा) का हुआ आयोजन। संयोजक राजकीय डागा बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय है।

जूडो का इतिहास 

डॉ कानो जिगोरो द्वारा 1882 में जापान में बनाया गया एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है। इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना, या ज्वाइंट लॉक करके अर्थात् जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है। हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जुडो का एक हिस्सा है लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों (काता) में होता है क्योंकि जुडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास (रंदोरी) में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है।

जुडो के लिए विकसित दर्शन और परवर्ती प्रशिक्षण अन्य आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट के मॉडल बन गए जिनका विकास पारंपरिक स्कूलों (कोर्यु) से हुआ था। जुडो के विश्वव्यापी प्रसार के फलस्वरूप साम्बो, बार्तित्सु और ब्राजीलियाई जिउ-जित्सु जैसी कई उपशाखाओं का विकास हो गया है जिसका विकास मित्सुयो माएदा द्वारा 1914 में ब्राज़ील में जुडो के लाए जाने के बाद हुआ था। जुडो के अभ्यासकर्ताओं या पेशेवरों को जुडोका कहा जाता है।

 

About The Author

Share

You cannot copy content of this page