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बीकानेर (हैलो बीकानेर न्यूज़)। मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है यह कहावत को चरितार्थ का दिखाया है बीकानेर के छोटे से गांव सींथल के उन 23 युवाओं ने जिनकी मेहनत और परिश्रम की बदोलत आज शारीरिक शिक्षक (पीटीआई) भर्ती में चयन हो पाया है। बीकानेर पुलिस विभाग में कार्यरत प्रकाश दान चारण बताते है की करीबन 400-450 परिवारों का गांव सींथल में एक गांव के लोगो ने चंदा कर एक स्टेडियम बनाया है।

जिसमे इन सभी 24 लड़कों दिन रात मेहनत कर शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा की तयारी की और परिणाम यह निकला की 24 में से 23 लडके का इस भर्ती में पास हो गये। लेकिन अफ़सोस बात का है की एक लड़के का चयन नहीं हो पाया। जो लड़का परीक्षा में रह गया है उसका कहना है कि ”कोई बात नहीं हिम्मत नहीं हारी है, आगे आने वाली परीक्षा की तैयारी करूंगा और निकलकर दिखाऊंगा।”

एक साथ, एक भर्ती में एक गांव के 23 लड़कों का चयन होना अपने-आप में यह दर्शता है कि गांव का जचा-बचा शिक्षित है और गांव के बुजुर्ग भी युवाओं को अब एक ही शिक्षा दे रहे है कि पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनो, ताकि देश व गांव की सेवा कर सको। बुजुर्गों की इसी शिक्षा से पीटीआई भर्ती में आज गांव के 23 लड़कों का एक साथ चयन हुआ है। पूरे गांव में खुशी की लहर है। घर-घर मिठाईयां व बधाईयों का सिलसिला जारी है। गांव के गवाड़-चौराहे पर बस यही चर्चा है कि ‘गांव के बच्चों ने तो कमाल कर दिया।

चंदा इकठ्ठा कर बनाया गांव में स्टेडियम

सींथल गांव के ग्रामीणों की सोच व एकजुटता को सलाम है। क्योंकि गांव में बच्चों के लिए खेलने-कूदने के लिए स्टेडियम नहीं होने के कारण बच्चे खेल में आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। ग्रामीणों ने चंदा किया और गांव में अलग से बच्चों के लिए एक स्टेडियम तैयार किया। जिससे गांव के बच्चे खेल-कूद सके। पीटीआई भर्ती में सफल हुए नवयुवक चंदे से बनाये गए खेल मैदान में प्रत्येक दिन खेल-कूद का अभ्यास करने आते थे। इन्हीं युवाओं ने आज कमाल कर दिखाया है। खेल मैदान के लिए गांव भैरूदान उज्जवल ने अपने खेत की जमीन दी और जमीन पर खेल मैदान को तैयार करने के लिए ग्रामीणों ने चंदा किया। बता दें कि यहां समय-समय पर ओपन राज्य स्तरीय प्रत्योगिता भी ग्रामीणों के सहयोग से आयोजित करवाई करवाई जाती है। इस प्रकार की प्रतियोगिता में जो भी खर्च आता है वो भी ग्रामीणों द्वारा वहन किया जाता है।

इन युवाओं ने मारी बाजी
रणजीत बीठू, पृथ्वी राज बीठू, प्रवीण सिंह बीठू, रवि बीठू, उम्मेद सिंह बीठू, खुमाण सिंह बीठू, देवी सिंह आढा, बलवंत बीठू, राम आढा, हरिश बीठू, प्रेम सिंह बीठू, सुरेंद्र आढा, अवधेश बीठू, आनंद बीठू, मघुसुदन बीठू, भवानी बीठू, बीरबल, राजु, वासुदेव, राधाकृष्ण, अरूण आढा, घनश्याम उपाध्याय व लिटिल।

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