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गीता के संदेश को सार्थक करने वाले स्व. डॉक्टर विजय बोथरा की जयंती पर आयोजित हुए गीता विद्यार्थी सम्मेलन में हजारों की संख्या में सम्मिलित हुए विद्यार्थी, निकाली नेत्रदान रैली

हैलो बीकानेर। गीता ही वह ग्रंथ है जिसमें  मानव के कल्याण का स्रोत है। गीता में हर प्रकार की विधा में पारंगत होने की शिक्षा है तो संस्कृति और संस्कारों का प्रशिक्षण भी है। लोक चिकित्सक स्व डॉक्टर विजय बोथरा की जयंती पर बुधवार को गोपेश्वर बस्ती स्थित शिव पार्वती मंदिर में आयोजित हुए गीता विद्यार्थी सम्मेलन में उपस्थित हजारों विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए स्वामी संवित सोमगिरि महाराज ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गीता मानव धर्म का ग्रंथ है। स्वामी जी ने विभिन्न कहानियों और उदाहरणों के माध्यम से गीता के महत्व को प्रस्तुत किया। डॉ बोथरा के जीवन के बारे में बोलते हुए स्वामी जी ने कहा कि डॉ बोथरा का जीवन गीता के संदेश को सार्थक करता था। उन्होंने गीता में बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए दिन रात की परवाह किए बिना मानव के कल्याण में अपने आप को समर्पित कर दिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन से संबंधित अनछुए प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए स्वामी विवेकानंद को युगदृष्टा बताया। आयोजन समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने आयोजन के महत्व को प्रस्तुत करते हुए उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि आप भविष्य में डॉक्टर /इंजीनियर /शिक्षक या कुछ भी बनें, स्व डॉ विजय बोथरा जैसे महान इंसान जरूर बनें और समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करें। उन्होंने डॉ विजय बोथरा के  जीवन के अनेक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में वार्ड पार्षद शिवकुमार रंगा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने सनातन धर्म को विश्वपटल पर प्रमुखता से प्रकाशित किया। उन्होंने शिकागो सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि 125 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की विश्व धर्म सभा में हिंदू धर्म का डंका बजाया था। डॉ बोथरा की सहधर्मिणी मंजू बोथरा ने इस अवसर पर कहा कि आज जब डॉक्टर साहब के जाने के बाद भी उन्हें इस प्रकार से शहर के नागरिकों द्वारा याद किया जाता है तो मुझे उनके द्वारा शुरू किए गए सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए नई ऊर्जा मिलती है और मैं दुगुनी ताकत और जोश के साथ रतन नेत्र ज्योति संस्थान के लक्ष्यों के लिए जुट जाती हूँ। उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब द्वारा स्थापित रतन नेत्र ज्योति संस्थान मरणोपरांत मृतक के नेत्रों का प्रत्यारोपण नेत्रहीन लोगों को रोशनी देने के लिए संकल्पित है और अब तक हजारों नेत्रहीन अंधकारमय जीवन से छुटकारा पा चुके हैं। मानव प्रबोधन प्रन्यास के सचिव विनोद शर्मा और घनश्याम साध ने गीता प्रतियोगिता के बारे में विस्तार से बताया। शिक्षाविद् महावीर तंवर, सामाजिक कार्यकर्ता ताराचंद गहलोत व योगेश पुरोहित, वार्ड पार्षद शिवकुमार रंगा और मंजू बोथरा का सम्मान इस अवसर पर स्वामी संवित सोमगिरि महाराज द्वारा साहित्य और शॉल भेंट कर किया गया।  इस अवसर पर रतन नेत्र ज्योति संस्थान की मंजू बोथरा और स्वामी संवित सोमगिरि महाराज ने गिरिराज खैरीवाल का  सम्मान शॉल और साहित्य भेंट कर  किया।
आयोजन समन्वयक गिरिराज खैरीवाल के मुताबिक इस अभिनव कार्यक्रम में गंगाशहर, भीनासर और सुजानदेसर क्षेत्र की 24 स्कूलों के लगभग 2000 विद्यार्थियों ने सहभागिता की। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर सम्मिलित होने वाले प्रत्येक स्कूल के प्रतिनिधि का सम्मान स्वामी सोमगिरि महाराज ने साहित्य भेंट कर किया। स्वामी संवित सोमगिरि महाराज, मंजू बोथरा, श्रुति बोथरा, शिवकुमार रंगा, सूरजाराम पुरोहित, प्रभुदयाल गहलोत, बालकिशन सोलंकी इत्यादि द्वारा मां सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और डॉक्टर विजय बोथरा के चित्रों के समक्ष द्वीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का विधिवत् शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य जन भी उपस्थित थे।

नेत्रदान महादान रैली

कार्यक्रम के पश्चात रतन नेत्र ज्योति संस्थान और उत्कर्ष सामाजिक सांस्कृतिक शैक्षणिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में नेत्रदान महादान रैली निकाली गई। मरणोपरांत नेत्रदान के लिए अलख जगाने के विभिन्न नारों के साथ रैली गोपेश्वर बस्ती के विभिन्न क्षेत्रों में घूमते हुए संबंधित स्कूलों में संपन्न हुई।

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