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बीकानेर। बीकानेर का हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल एक बार फिर दिल के रोगियों के लिए महज परामर्श केन्द्र बनकर रह गया है। वजह, कैथलैब खराब होने से हॉस्पिटल में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, वाल्व स्टेंटिंग, पेसमेकर जैसी जरूरी जांच और गंभीर स्थिति में उपचार की प्रक्रिया ठप्प हो गयी है। यह लैब पिछले 21 दिनों से बंद हैं। चूंकि हॉस्पिटल की इस लैब में हर दिन लगभग 25 लोगों की जांच-इलाज प्रक्रिया होती है। ऐसे में इनमें से अधिकांश रोगियों को दवाइयों के सहारे इंतजार के लिए कहा जा रहा है। हर दिन औसतन 10 गंभीर रोगियों को जयपुर सहित दूसरे शहरों में ले जाना पड़ रहा है।
हार्ट हॉस्पिटल के ऐसे हालात पहली बार नहीं बन रहे हैं। बीते दो महीनों में जहां दूसरी बार यह लैब बंद हुई वहीं इससे पहले बीते साल लगभग तीन महीने यह ठप पड़ी रही थी। इस बार भी लगभग 33 लाख की लागत के दो पार्ट खराब होने की वजह से लैब बंद हुई। इंजीनियर्स की टीम ने एक पार्ट तो जैसे-तैसे रिपेयर कर दिया लेकिन अब भी कॉलीमीटर कार्ड नाम का पुर्जा खराब है। इसकी कीमत लगभग 13 लाख बताई जा रही है। इसे बदलने का निर्णय तो ले लिया गया है लेकिन इस निर्णय पीबीएम की मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी के अध्यक्ष के नाते संभागीय आयुक्त के दस्तखत होने बाकी है। जानकारों का कहना है, आयुक्त के दस्तखत होने के बाद भी पार्ट खरीदने और लगाने में 10 दिन का समय लग सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हार्ट हॉस्पिटल के चिकित्सक निजी अस्पतालों में जांचे करवा रहे है।
बताया जा रहा है कि रानीबाजार स्थित एक निजी अस्पताल में कैथ लैब का उद्घाटन विगत महिने हल्दीराम मूलचंद हार्ट हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने ही किया था और जब से ये लैब शुरू हुई है। तब से हल्दीराम मूलचंद हार्ट हॉस्पिटल की कैथ लैब खराब हो रही है। जिसको लेकर अस्पताल व प्रशासन सतर्क नहीं है और इसी लैब में रोगियों को जांच के लिये भेजा जा रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. आर.पी.अग्रवाल का कहना है कि हार्ट रोगियों को कैथलेब खराब होने की वजह से जयपुर शिफ्ट किया जा रहा है या फिर निजी अस्पतालों में जांचें करवायी जा रही है। शीघ्र ही मशीनें ठीक करवाकर रोगियों को राहत प्रदान की जाएगी। 

 

 

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