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बीकानेर स्थित रामपुरा बस्ती निवासी दिव्यांग शिवकुमार तंवर ने यह साबित कर दिया है कि अगर दिव्यांगों को उचित मदद मिले, तो वे तमाम बाधाओं को पार करने की हिम्मत जुटा सकते हैं। 40 वर्षीय शिवकुमार के पैर बचपन में ही पोलियो के कारण खराब हो गए थे। वह 60 प्रतिशत निःशक्त है। ऎसे में वह अधिक पढ़ाई नहीं कर सका व नवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसने आत्मनिर्भर बनने की ठानी। वह छोटे-मोटे व्यापार करता रहा, पर उसकी आय अधिक नहीं हो सकी। फिर उसका विवाह हुआ, उसकी पत्नी सरला भी दिव्यांग है। उनके दो पुत्र हैं। उन्होंने तय किया कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य के साथ ऎसी लापरवाही नहीं करेंगे। उन्होंने दोनों पुत्रों को समय पर पोलियो की खुराक दिलवाई व टीकाकरण करवाया। शिवकुमार की इच्छा थी कि उसके दोनों बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर आत्मनिर्भर बनें, पर कम आमदनी के कारण उसे यह कार्य असंभव लग रहा था। ऎसे में उसे राज्य सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित पालनहार योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन स्वरोजगार योजना तथा आस्था कार्ड आदि जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत सहायता दी गई। इन योजनाओं के माध्यम से आर्थिक संबल पाकर आज शिवकुमार की आंखों में विश्वास की किरण देखी जा सकती है। उसने मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन स्वरोजगार योजना के तहत 1 लाख रूपये का ऋण प्राप्त किया, जिसमें विभाग द्वारा उसे 50 हजार रूपये का अनुदान भी मिला। इस राशि से उसने किराने की दुकान खोली, अब इस दुकान से उसे अच्छी आमदनी हो रही है। इसके साथ ही पालनहार योजना के तहत उसके दोनों बच्चों को प्रतिमाह 1-1 हजार रूपये के तहत, सालाना कुल 24 हजार रूपये प्राप्त हो रहे हैं, साथ ही उन्हें 2-2 हजार रूपए की सालाना अतिरिक्त एकमुश्त राशि भी मिलती है। उसका बड़ा बेटा नेमीचंद आईटीआई में व छोटा बेटा पवन आठवीं कक्षा में अध्ययनरत है। उसका आस्था कार्ड भी बना हुआ है, जिसके तहत उन्हें बीपीएल श्रेणी के समकक्ष सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। पति-पत्नी को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत प्रतिमाह 750-750 रूपये के तहत कुल 1 हजार 500 रूपए राशि की पेंशन भी प्राप्त हो रही है। शिवकुमार का सपना है कि उसके दोनों पुत्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर आत्मनिर्भर बनें व समाज में उसका नाम रोशन करें, इसके लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहा है। वह अपने छोटे भाई द्वारा खरीदा गया ई-रिक्शा भी चलाता है। इस दौरान उसकी पत्नी व बच्चे दुकान को संभालते हैं। ई-रिक्शा को उसने मोडिफाई करवाकर, उसके ब्रेक्स को हैंडल में लगवा लिया है, जिससे वह आसानी से उसे चला सकता है। इसके साथ ही शिवकुमार अन्य दिव्यांगों की भी हरसंभव मदद करने का प्रयास करता है। राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के आर्थिक संबल व शिवकुमार की मेहनत से आज उसका पूरा परिवार अपनी मंजिल की ओर मजबूती से कदम उठा रहा है।

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