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लालचंद सोनी तत्कालीन कनिष्ठ लेखाकार यूआईटी के परिवाद पर न्यायालय के आदेश पर शदर थाने में मामला दायर-जाँच शुरू 

हैलो बीकानेर न्यूज़। नगर विकास न्यास (यूआईटी) से पांच हाईमास्ट लाइटें लगाने का भुगतान बिना काम किए उठाने और अदालत को गुमराह करने के लिए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस निरीक्षक, यूआईटी के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता तथा ठेकेदार के खिलाफ अदालत के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है।
यह मामला तीन साल पुराना है, जब नगर विकास न्यास के वर्कऑर्डर पर ठेकेदार विनोद कुमावत ने न्यास के अधिकारियों से मिलीभगत कर पांच जगहों पर हाईमास्ट लाइटें बिना लगाए 15 लाख रुपए का भुगतान उठा लिया। इस भुगतान की मिलीभगत में शामिल नहीं होने पर न्यास के कनिष्ठ लेखाकार लालचंद सोनी को झूठे मामले में भ्रष्टाचार निरोधक विभाग से 10 सिंतबर 15 को ट्रेप करवा दिया गया।
सोनी पर पैसे लेने का आरोप लगाने के लिए इन्होंने झूठा गवाह तैयार किया जिसने बताया कि काम दो माह पहले पूरा हो चुका है, लेकिन सोनी भुगतान करने के लिए पैसे मांग रहा है। इस पर सोनी पर एसीबी ने मामला बना दिया जिस पर उन्हें न्यास से निलंबित कर दिया गया। सोनी ने इसके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सारे कागजात बटोरे जिससे यह साबित हुआ कि जिन लाइटों के काम का भुगतान उठाया गया वह असल में तब हुआ ही नहीं था। सोनी के ट्रेप होने के बीस दिन बाद काम होना पाया गया। सोनी ने इसके खिलाफ अदालत में इस्तगासा लगाया।
एसीबी कोर्ट ने मामले की जांच पुलिस अधीक्षक को स्वयं की देखरेख में कराने के निर्देश दिए तब नाल थाना प्रभारी से जांच कराई गई। जांच में सामने आया कि मौके पर काम 4 अक्टूबर को पूरा हुआ है और 8 अक्टूबर 15 को एक्सईएन और एईएन ने फिजिकल वेरीफिकेशन किया है।
मामले में यह सामने आया कि एसीबी अदालत में ठेकेदार ने न्यास के एक्सईएन और एईएन से मिलकर माप बुक गायब करा दी और अदालत में नई माप बुक फर्जी बनाकर पेश कर दी। मूल फाइल पर एक्सईएन ओम प्रकाश गोदारा के हस्ताक्षर थे। सोनी के इस्तगासे के बाद एसीबी ने यूआईटी से रिकॉर्ड मंगवाया जिसमें मूल माप बुक शामिल थी। एसीबी ने कोर्ट में ऑरिजनल दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए, बल्कि आधे अधूरे दस्तावेज दे दिए। इसका पता चलने पर सोनी ने एसीबी में फिर प्रार्थना पत्र लगाया कि आरटीआई से यह जानकारी सामने आई है कि यूआईटी ने ऑरिजनल दस्तावेज दिए हैं, लेकिन एसीबी अधिकारियों ने जान-बूझकर छिपा लिया है।
पुलिस की जांच से मामला साफ  हो जाने पर सेशन जज भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने एसीबी के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अब रिटायर्ड) परबत सिंह, तत्कालीन सीआई हेमंत वर्मा, ठेकेदार विनोद कुमावत, न्यास के मौजूद एक्सईएन प्रेम वशिष्ठ, एईएन एमपी टाक और जेईएन प्रवीण कुमावत के खिलाफ  सदर थाने में आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए। इस पर मंगलवार को सदर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया। मामले कीर जांच सब इंस्पेक्टर  विकास विश्नोई को सौंपी गई है।

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