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वस्‍तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का उद्देश्‍य व्‍यापारिक लेनदेन में पारदर्शिता लाना और जवाबदेही तय करना है। इसके अलावा जीएसटी से व्‍यापार करने में आसानी होगी तथा टैक्‍स की दरें तर्कसंगत होंगी, जिससे देश की वित्‍तीय स्थिति को सही दिशा मिलेगी।

जीएसटी का सबसे पहला लाभ यह है कि इससे राज्‍यों के बीच होने वाले लेनदेन की बाधाएं दूर हो जाएंगी तथा एक साझा बाजार की रचना होगी। देश में ‘एक राष्‍ट्र, एक कर और एक बाजार’ की अवधारणा आगे बढ़ेगी। राज्‍यों के बीच आपूर्ति के संबंध में केवल एकीकृत कर प्रणाली काम करेगी, जबकि राज्‍यों के भीतर होने वाली आपूर्ति के संबंध में केन्‍द्रीय कर और राज्‍यकर लागू होंगे। इस तरह पिछली प्रणाली के स्‍थान पर अब केन्‍द्र और राज्‍यों में आसान तथा कारगर कर प्रणाली काम करेगी।

कराधान ढांचे को आसान बनाकर जीएसटी व्‍यापार और विकास को प्रोत्‍साहन देगा, क्‍योंकि असंख्‍य कर समाप्‍त हो जायेंगे। जीएसटी कानूनों को इस तरह बनाया गया है कि विभिन्‍न प्रकार के टैक्‍सों के स्‍थान पर केवल एक ही टैक्‍स लागू हो। जीएसटी के अन्‍तर्गत निम्‍नलिखित टैक्‍स समाविष्‍ट कर दिए गए हैं:-

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(अ) केन्‍द्र संबंधी कर:

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क
उत्‍पाद शुल्‍क (औषधि और शौचालय निर्माण)
अतिरिक्‍त उत्‍पाद शुल्‍क (विशेष महत्‍व के सामान)
अतिरिक्‍त शुल्‍क (कपड़ा और कपड़ा उत्‍पाद)
अतिरिक्‍त सीमा शुल्‍क (आमतौर पर जिसे सीवीडी के नाम से जाना जाता है)
विशेष अतिरिक्‍त सीमा शुल्‍क (एसएडी)
सेवाकर
केन्‍द्रीय सरकार और उपकर, सामान या सेवा आपूर्ति के संबंध में।
(ब) राज्‍य संबंधी कर:

राज्‍य वैट
केन्‍द्रीय बिक्री कर
विलासिता कर
चुंगी और प्रवेश कर (सभी प्रकार के)
मनोरंजन एवं मनोविनोद कर (स्‍थानीय निकायों द्वारा लागू होने के अतिरिक्‍त)
विज्ञापनों पर कर
खरीद कर
लॉटरी और जुए पर कर
राज्‍य सरकार और उपकर, सामान या सेवा आपूर्ति के संबंध में।

जीएसटी से उत्‍पादकता में सुधार होगा और व्‍यापार करने में आसानी होगी, क्‍योंकि इसके तहत पूरा राष्‍ट्र एकल बाजार में तब्‍दील हो जाएगा। राज्‍यों के बीच होने वाले व्‍यापार की बाधाएं दूर हो जाएंगी। इसके अलावा कराधान का दुष्‍प्रभाव कम होगा और कर का दायरा बढ़ जाएगा, जिससे देश को बहुत फायदा मिलेगा।

यह जानकारी आज लोकसभा में वित्‍त राज्‍यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी।

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