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श्रीडूंगरगढ़ (मुकेश जाखड.)। देश व प्रदेश की सरकारों की नीतियां किसान व गांव विरोधी है। इसलिए देश व गांव में किसान व ग्रामीण लोगों बड़ी दुविधा में है। आजादी के बाद भी भारत में दो तरह के कानून है। जिसमें शहरों व कलकारखानों के लिए अलग कानून है और गांवों व किसानों के लिए अलग कानून है। शहरों व कलकारखानों को मांगते ही बिजली व अन्य सुविधाएं मिलती है। जबकि गांवों सें मूलभूत सुविधाओं का अभाव है एवं किसानों के कुंओं पर पांच सात वर्षों तक बिजली नहीं मिलती है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड अमराराम ने श्रीडूंगरगढ़ के विधुत निगम सहायक अभियंता कार्यालय प्रथम के समक्ष शनिवार को किसान महापड़ाव में मौजूद किसानों को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि किसान के लिए आज तक कोई आयोग नहीं बना है। इसके लिए सरकारें कम दोषी है और किसान ज्यादा दोषी है। क्योंकि किसानों में मजबूत संगठन का सर्वथा अभाव है। उन्होंने कहा कि देश में सरकारों की किसान विरोधी नीतियों के चलते खेती का धंधा घाटे वाल साबित हो रहा है। किसान पर प्रकृति मार के साथ साथ सरकारों की गलत नीतियों ने अपने खेतीबाड़ी को छोड़ने मजबूर है।

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पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार व प्रशासन की हठधर्मिता के कारण किसान व मजदूर दु:खी है। सरकार किसानों के धैर्य परीक्षा नहीं लेकर वाजिब मांगों को मान लेना चाहिए। किसान अभाकिस के प्रदेश सचिव छगन चौधरी ने कहा कि संगठित होने के साथ जरूरी रणनीति के साथ संघर्ष करने की योजना बनाएं। जब तक किसान संगठित तरीके से लड़ाई नहीं लड़ेगा, तब तक किसानों को समस्याओं से जूझना होगा। माकपा के जिला सचिव कामरेड लालचंद भादू ने कहा कि राज्य सरकार सत्ता के मद में अंधी होकर किसान, मजदूर व गरीब वर्ग का शोषण करने में लगी हुई। बीकानेर यूथ कांग्रेस लोकसभा जिलाध्यक्ष बिशनाराम सियाग ने कहा कि सरकार व प्रशासन की लापरवाही के कारण किसानों को खेत छोड़कर सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना पड़ रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष कामरेड गिरधारी महिया ने कहा कि सरकार व प्रशासन की संवेदनहीनता के चलते हांड कंपाने वाली ठंडक में खुले आसमान के लिए रात व दिन गुजरना पड़ रहा है और हम प्रशासन को चेतावनी देते है कि किसानों की बारह मांगों को शीघ्र मान लें। अन्यथा इसको लेकर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो सारी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी। इस दौरान पूर्व जिला प्रमुख मेघाराम महिया, पूर्व प्रधान भागूराम सहू, कांग्रेस जिला सचिव पुनम नैण, जिला परिषद सदस्य हरीराम बाना,रामेश्वर गोदारा, बरजांगसर सरपंच श्रवणनाथ, मुकननाथ सिद्ध, मोमासर सरपंच जेठाराम भांभू, देराजसर सरपंच दानाराम भादू, मोहनलाल भादू, किसान चेतना मंच के हरीराम गोदारा, बाना सरपंच भंवरलाल बाना, भंवरलाल भूंवाल, मालाराम सुथार, धर्मवीर चौधरी, भागीरथ भादू, नानूराम नैण आदि ने किसानों को संबोधित किया और बड़ी संख्या में वर्तमान व पूर्व जनप्रतिनिधि मंच पर मौजूद रहे।

वार्ता विफल- इस दौरान किसानों के सात सदस्य प्रतिनिधि मंडल व प्रशासनिक अधिकारों के बीच समझौता वार्ता सिंगल फेस बिजली नहीं देने बिन्दु पर अटक जाने विफल हो गई और किसानों ने अपना महापड़ाव जारी रहा।

वार्ता में उपखंड अधिकारी मुरलीलाल वर्मा, सीओ जगदीश बोहरा, अधिशाषी अभियंता भगवानसिंह मीणा प्रशासनिक अधिकारी व पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा, गिरधारी महिया, हरीराम बाना, मेघाराम महिया, काननाथ, भागूराम सहू व हरीराम गोदारा आदि किसान प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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