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हैलो बीकानेर। नगर विकास न्यास, बीकानेर द्वारा जरूरतमंदों के लिए गांधी पार्क के पास बनाई गई “मानवता की दीवार” अमानवीय बनकर रह गई है। यहां लोग ऐसे कपड़े डाल जाते हैं जो कचरे के लायक भी नहीं है और इसी वजह से इस भलाई की दीवार पर कोई भी जरूरतमंद नहीं आ रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि यहां सभी कपड़े खराब स्थिति वाले हैं। अनेक सेवाभावी लोग यहां बिलकुल नए या लगभग नए अथवा पहनने योग्य कपड़े भी रखकर जाते हैं। लेकिन जो कपड़े या तो कटे फटे हैं या खराब हैं, उनके इतने ढेर लगे हुए हैं कि वहां पैर रखने की भी जगह नहीं है और इन खराब कपड़ों की बेतरतीब ढेरियों में अच्छे व पहनने योग्य कपड़े दबकर रह जाते हैं।


यदि यही स्थिति रही तो दीपावली के समय यहां फालतू कपड़ों का कूड़ा जमा हो जाएगा और किसी भी जरूरतमंद को इस उपयोगी दीवार से लाभ हासिल नहीं हो सकेगा। मैं सभी बीकानेर वासियों को निवेदन कर रहा हूं कि भले ही आप किसी को एक कपड़ा ही भेंट करें लेकिन वह इस तरह का होना चाहिए जैसा आप अपने स्वयं के लिए पहनना उचित समझते हैं… हमेशा देते समय यह भाव होना चाहिए कि मैं अपने स्वयं के लिए दे रहा हूँ अर्थात जिस वस्तु को हम जिस स्थिति में दे रहे हैं क्या उस स्थिति में हम उसका स्वयं उपयोग कर सकते हैं। यदि हां तो आप जरूर दीजिए लेकिन इस सवाल का जवाब ना है तो आप भलाई नहीं अपितु भलाई करने वाले लोगों के लिए बाधा बन रहे हैं। प्लीज अपने घर के कचरे को कचरा डालने के स्थान पर ही डालें। झूठ की भलाई के चक्कर में भलाई करने वाले लोगों के भले काम में बाधा उत्पन्न नहीं करें क्योंकि जो भी व्यक्ति अपने घर के कपड़े रूपी कचरे को इस जगह डाल रहे हैं, वे पाप के भागीदार बन रहे हैं…

– गिरिराज खैरीवाल 

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