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फेसबुक इस्तेमाल करने वाला हर व्यक्ति ‘लाइक’ पर जरूर नजर रखता है. स्टेटस या तस्वीर पर कम लाइक यानी कम पॉपुलैरिटी. ज्यादा लाइक का मतलब चेहरे पर खुशी. लेकिन कहीं लाइक की ये लत आपको मुश्किल में तो नहीं डाल रही.

बिल्कुल डाल रही है. ये मानना है फेसबुक पर ‘लाइक’ बटन ईजाद करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर जस्टिन रोसेंस्टीन का. जो इस लाइक के खेल से इतने आजिज आ गए कि उन्होंने अपने फोन से फेसबुक एप ही डिलीट कर दिया.

गार्जियन अखबार के मुताबिक, जस्टिन फेसबुक जैसे सोशल मीडिया एप्स के खतरों को लेकर चौकन्ने हैं. 2007 में जस्टिन ने ही फेसबुक के लिए लाइक बटन बनाया था. वो, इंसानी दिलो-दिमाग पर इसके असर को लेकर इतने परेशान हुए कि अपने फोन से पहले फेसबुक डिलीट किया. जिसके बाद, रेडिट और स्नैपचैट जैसी एप्लिकेशंस भी ब्लॉक कर दीं. लेकिन जब ये सब भी काम नहीं आया तो इसी साल अगस्त में उन्होंने एक बड़ा फैसला किया.

जस्टिन ने एक नया फोन खरीदा और अपने एसिस्टेंट से कहकर उस पर पेरेंटल कंट्रोल सेट करवा दिया ताकि वो इस तरह की कोई भी एप डाउनलोड न कर सकें.

जस्टिन रोसेंस्टिीन लाइक बटन के बारे में बात करते हुए कहते हैं, ये नकली खुशी देने वाली चीज है. ऐसे फीचर्स को सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के दिग्गज नई ‘अटेंशन इकनॉमी’ का नाम देते हैं. यानी एक ऐसी अर्थव्यवस्था जहां लाइक, ध्यान खींचना और पॉपुलैरिटी ही नई करंसी बन जाती है. जितनी ज्यादा इस तरह की करंसी, उतना आपके दिल को अच्छा लगने लगता है. धीरे-धीरे लाइक का ये खेल दिमाग पर हावी होने लगता है. इंसानी दिमाग पर इन चीजों का असर आम है.

साल 2007 में जब फेसबुक नई जमीन तय कर रहा था, तब जस्टिन रोसेंस्टीन ने एक छोटे ग्रुप का हिस्सा रहते हुए लाइक बटन ईजाद किया जिसका मकसद सबको खुद के बारे में थोड़ा बेहतर महसूस कराना था.

लाइक बटन आया और छा गया. धीरे-धीरे अंगूठा उठाए लाइक बटन इतना मशहूर हो गया कि ट्विटर और इंस्टाग्राम को भी इसे अपनाना पड़ा. ट्विटर फेवरेट्स से लाइक्स की तरफ मुड़ गया.

रोसेंस्टीन ने गूगल में रहते हुए जीचैट बनाने में भी मदद की थी. एक अमेरिकी रिसर्च के मुताबिक लोग दिन में 2617 बार अपने फोन को टच, स्वाइप या टैप करते हैं. जस्टिन इसी को लेकर चिंतित नजर आते हैं. भारत में फेसबुक के, दुनिया में सबसे ज्यादा यानी 24 करोड़ यूजर हैं. जिस तरह से ‘लाइक’ की ये इकनॉमी अपने पांव जमा रही है, जस्टिन रोसेंस्टीन की सलाह पर गौर करना जरूरी हो जाता है. साभार : द क्विट

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