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जितेश सोनी। आज कल देश की बेहरतीन खिलाडियों का जमवाड़ा हैं। चौधरी भरत सिंह मैमोरियल खेल स्कुल निडानी में जिसमे भारतीय कबड्डी संघ द्वारा अंतरास्ट्रीय महिला सर्कल कबड्डी लीग के आयोजन में पद्मश्री क्वीन की रेडर हरियाणा प्रदेश के गांव बोबुआ की खिलाडी कर्मी चहल जिसका नाम कबड्डी जगत में  बुलंदियों को छूने का काम कर रहा हैं जिला हिसार के बोबुआ गांव में एक साधारण किसान शमशेर सिंह के घर जन्म लेने वाली कर्मी चहल ने भारतीय संस्कृति से जुड़े खेल कबड्डी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने का काम किया हैं।

जिसने अपने नाम 2014 व 2016 में पंजाब में हुए विश्व कबड्डी कप में गोल्ड मैडल जितने का काम किया, 2015 में उत्तराखंड में सीनियर नेशनल कप में गोल्ड मैडल, 2014 व 2015 में हुई इंटर यूनिवर्सिटी में गोल्ड मैडल जीत कर अपने नाम अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं खेल स्कुल निडानी में चल रही कबड्डी लीग में अपने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत कर्मी चहल पहले 10 खिलाड़ियों की सूचि में सुमार हैं जिसने इस लीग में लगातार दो बार बेस्ट रेडर का ख़िताब अपने नाम जितने का काम किया हैं वहीं कर्मी चहल ने बताया की उनकी माँ शान्ति देवी गृहणी होने के साथ साथ मुझे खेलों के प्रति बहुत उत्साहित करने का काम करती हैं।

गांव बोबुआ में चल रही अपनी प्रेक्टिश का स्रे अपने कोच मंजीत चहल को देते हुए उन्होंने कहा की कोच द्वारा काफी महेनत करवाई जाती हैं हर रोज तीन घंटे की कड़ी महेनत करके हमने यह मुकाम हाशिल किया हैं उन्होंने कहा की भारतीय कबड्डी संघ द्वारा जो प्लेटफॉर्म हमे दिया हैं वो खेलों में महिलाओं को  आगे बढ़ाने में बहुत कारगर सिद्ध होगा।इसके साथ लीग की गोल्ड क्वीन टीम में बतौर कैचर के तौर पर खेलने वाली पंजाब के जिला अमृतसर के गांव बालिया मंचपुर में साधरण से किसान सरदार सुक्खा सिंह के घर जन्म लेने वाली देश की बेहतरीन कबड्डी खिलाडी हरप्रीत कौर हैपी ने भी अपनी महेनत का जलवा बिखेरते हुए अपने नाम अनेक उपलब्धियां हांसिल करने का काम किया हैं।

12 वी कक्षा में पढ़ते हुए 2014 में कबड्डी के खेल में अपना भविष्य तलासते हुए खेल की सुरवात करके कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी प्रतिभा के कारण 2015 इंटरकालेज में गोल्ड मैडल जितने का काम किया, 2016 में ऑल इंडिया टूर्नामेंट में सिल्वर मैडल जितने का काम किया, 2017 में स्टेट नेशनल में सिल्वर मैडल के साथ स्टेट सर्कल कबड्डी में भी गोल्ड मैडल, 2018 में इंटरकालेज में नेशनल स्टाईल में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रचने का काम किया हैं जो कबीले तारीफ हैं।

कबड्डी खिलाडी अपनी कामयाबी का पूरा स्रे अपनी माँ को देती हैं जो गृहणी होने के बाद भी मुझे खेलों की और जाने में  के लिए प्रेरित करने का काम करती हैं हैपी ने बताया की हमारे कोच सुरेन्द्र सिंह घणघस हमारे लिए खुद भी कड़ी महेनत करते हैं और हमे भी लगातार महेनत करने के लिए प्रेरित करते हैं जिसकी बदौलत हमें यह मुकाम हाशिल हुआ हैं वहीं भारतीय कबड्डी संघ मिडिया बोर्ड के चेयरमैन आनन्द लाठर ने कहा की भारत सरकार और राज्य सरकार इस प्रकार खेलों के मध्यम से अपने देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाली खिलाडियों को योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी और आर्थिक रूप से सम्मानित करना चाहिए जिससे प्रभावित होकर और अधिक बेटियां खेलो की और जुड़े जिससे बेटियां आत्मनिर्भर बन सके और समाज का नाम रोशन कर सके ।

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