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युवा भारतीय संस्कृति के संवाहक बने: मुख्य अतिथि केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री मेघवाल लैंग्वेज लैब और सौर ऊर्जा संयंत्र का किया उद्घाटन

हैलो बीकानेर,रामसहाय हर्ष। वेटरनरी विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने मंगलवार को पषुचिकित्सा एवं पषु विज्ञान के 416 छात्र-छात्राओं को उपाधियों और 30 को स्वर्ण पदकों से अलंकृत किया। विश्वविद्यालय परिसर में सेना बैंड की स्वरलहरियों के बीच दीक्षांत शोभा यात्रा के पंडाल में प्रवेश के बाद कुलपति की अनुमति से दीक्षांत समारोह शुरू हुआ। दीक्षांत समारोह में स्नातक योग्यता प्राप्त कर लेने वाले 327 छात्र-छात्राओं को उपाधियां और एक को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। स्नातकोत्तर स्तर के 82 को उपाधियां, 26 को स्वर्ण पदक तथा विद्यावाचस्पति उपाधि के लिए सफल 7 विद्यार्थियों को उपाधि व 3 को स्वर्ण पदकों से अंलकृत किया गया। वेटरनरी ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय वित एवं कार्पोरेट मामलात के राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि चरित्र का गुण इंसानियत की पहचान है, अतः युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के अनुकूल आचरण कर जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। स्वामी विवेकानन्द का कहना था कि व्यक्ति कपडो़ से नहीं, चरित्र से उत्तम बनता है। हमें ऐसे महापुरूषों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने दीक्षित हुए छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपनी योग्यता और कुषलता से देष और समाज को लाभ पहुंचाने में उपयोग करें। उन्होंने राजुवास में गौ-पर्यटन की संभावनाओं पर विचार रखते हुए कहा कि इसे रात्रि पर्यटन से जोड़ने की जरूरत है। केन्द्रीय वित मंत्री ने राजुवास में पषुचिकित्सा, षिक्षा, अनुसंधान और प्रसार गतिविधियों में नवाचारों की प्रषंसा करते हुए कहा कि आज यह विष्वविद्यालय देष के अग्रणी उच्च षिक्षण संस्थाओं में शुमार हुआ है। उन्होंने राजुवास में स्थापित लैंग्वेज लैब और 100 के.वी.ए. के सौर ऊर्जा संयंत्र को विषिष्ट नवाचार बताते हुए अनुकरणीय बताया। फोटो : राजेश छंगाणी

unnamed (1) unnamed (2) unnamed (3) unnamed (4) unnamed (5)समारोह की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में पशुपालन एक सुदृढ़ सेक्टर के रूप में स्थापित है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ है। यही वह राज्य है जिसमें पशुधन का घनत्व 169 पशु प्रतिवर्ग किलोमीटर है जो दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत कम है। इसी कारण से राज्य में पशुपालन का स्थायित्व दूसरे राज्यों से अधिक है। राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसमें पशुधन एवं मानव की आबादी का अनुपात लगभग 85ः100 है, जिससे यह सिद्ध होता है कि हमारे लिये पशुपालन बहुत महत्वपूर्ण है। प्रदेश में उच्च कोटि के स्वदेशी गौवंश की नस्लें विद्यमान हैं। हमारे फार्मों की गायों की उत्पादकता एवं सांडों की उच्च गुणवत्ता के कारण हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेष, हिमाचल प्रदेष, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेष, तेलंगाना, आदि राज्यों में प्रदेष की स्वदेषी गौ नस्लों की मांग बढी है। जिससे राज्य के गोपालकों को अच्छी आय होने की प्रबल संभावनाएं बनी हैं। इससे राज्य में गौ पर्यटन का नया आयाम जुड़ा है। गोपालन से अधिक आय प्राप्त करने हेतु हमारे वैज्ञानिको ने गौमूत्र एवं गोबर के मूल्य संवर्धन के लिए पंचगव्य, गोबर से बायोगैस व ऊर्जा उत्पादन, वर्मीकम्पोस्ट, वर्मीवाष, अजोला उत्पादन आदि पर भी कार्य प्रारंभ कर दिया है। राज्य की पषुधन संपदा के स्वास्थ्य और आधुनिक शल्य चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए राजुवास के वैज्ञानिक और चिकित्सक जुटे हुए हैं और अब राजुवास ग्लोबल भूमिका निभाने में सक्षम हो गया है। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे पशुचिकित्सा विज्ञान के बाहर भी अपने अपने विषय ज्ञान, कौशल और क्षमताओं को विकसित करना चाहिए। व्यावसायिक कौशल के अलावा संचार, निर्णय लेने की क्षमता, भाषा और उद्यमशीलता कौशल में जीवनपर्यंत प्रषिक्षित होते रहने की आवष्यकता है। किसान भाइयों और बहनों के जीवन स्तर में सुधार करने के लिए एक अच्छे पशु चिकित्सा व्यवसायी की भूमिका निभानी होगी।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के पषुपालन आयुक्त और विख्यात पषुचिकित्सा वैज्ञानिक प्रो. सुरेष एस. होनप्पागोल ने दीक्षान्त भाषण में कहा कि राजुवास ने अपनी स्थापना के अल्पकाल में ही चंहुमुखी प्रगति करके मानव संसाधन विकास व नव तकनीकों का सृजन कर इसे पषुपालक-किसानों तक पहुंचाने का उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि पषुपालन हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका सुरक्षा के लिए जरूरी है। राजस्थान जैसे शुष्क-अर्द्धषुष्क क्षेत्र के लिए यह वरदान है। उन्होंने बताया कि देष के जिन प्रांतों में पषुपालन से कृषि के मुकाबले अधिक आय अर्जित की जा रही है, वहां गरीबी की दर भी कम है, जिसमें राजस्थान भी शामिल है। उन्होंने कहा कि देष के पषुधन संपदा में बहुत विविधता है जो समृद्ध है। सरकार ने देष और राज्य में पषुधन के स्वास्थ्य और प्रयुक्त दवाओं को गांव स्तर तक पहुंचाया है। वर्तमान में कृषि और पषुपालन क्षेत्र में उत्पादन, उत्पादकता, गुणवता बढाने और लाभकारी और टिकाऊ व्यवसाय बनाने की चुनौतियां है। युवाओं को पषुपालन से जोड़ने की भी चुनौती है जिसे नवीन प्रयास की रणनीति अपनाने तथा पषु कल्याणकारी शोध द्वारा पर्यावरण सुरक्षा और कम श्रम की तकनीकों का विकास किया जाना जरूरी है। उन्होंने नवदीक्षित छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि पषुपालन क्षेत्र में कार्य और शोध की विपुल संभावनाएं मौजूद है, अतः नये अवसरों के अनुरूप आगे बढ़कर नौकरी करने की बजाये नौकरी देने वाले बनने की कोषिष करें।
समारोह में अतिथियों ने जन सम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा प्रकाषित पुस्तिका राजुवासः चंहुमुखी प्रगति, सात वर्षों का सुनहरा सफर, कॉलेज मैग्जीन वेटस्कोप, इंग्लिस मॉडयूल पुस्तिका, जनस्वास्थ्य के लिए पषु जैव चिकित्सकीय अपषिष्ट का उचित निस्तारण, उन्नत पषु उपषिष्ट प्रबंधन पुस्तिकाएं एवं पषुओं से अधिक उत्पादन हेतु उन्नत पषु पोषण तकनीकें का एक फॉल्डर ववेटरनरी क्लिनिकल मेडिसन प्रेक्टिकल किताब का विमोचन किया। अतिथियों ने राजुवास ओआरएस पैकेट, वैज्ञानिक विधियों से पषुओं का पोषण प्रबंधन विषय पर आधारित एक मोबाइल एप, वेटरनरी दवाओं का एक यूनिक इंडेक्स और एक सीडी जारी की। समारोह में नगर निगम के महापौर श्री नारायण चोपड़ा, स्वामी केषवानंद राजस्थान कृषि विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. छीपा, ब्रिगेडियर रिपुसूदन, श्री सत्यप्रकाष आचार्य सहित विष्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इस के पहले दीक्षांत समारोह को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सीधा प्रसाारित किया गया जिसे देश-विदेश में बैठे लोगों ने भी देखा। समारोह स्थल पर भी एल.ई.डी. की बड़ी स्क्रीन पर दीक्षांत समारोह का सीधा प्रसारण किया गया।

7 विद्यार्थियों को मिली विद्या-वाचस्पति की उपाधि
विद्या-वाचस्पति की उपाधि प्राप्त करने वालों में कपिल कच्छावा, सुभाष चन्द्र कच्छावा, संदीप कुमार शर्मा और अरूण कुमार झीरवाल प्रमुख रहे।

30 विद्यार्थियों को मिले स्वर्ण पदक
पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान स्नातक के सत्र 2015 में रामकुमार को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। स्नातकोत्तर परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले पशुचिकित्सा विद्यार्थियों यथा भारती गुर्जर, ममता कुमारी मीणा, अनिता, आसुतोष त्रिपाठी, कंचन जांगिड़, अंकिता शर्मा, निषिता पुरोहित, मीनाली जैन, महेन्द्र कुमार, नितिन कुमार, उषा चौधरी, अमित संागवान को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। विद्यावाचस्पति में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले कपिल कच्छावा और सुभाष चन्द्र कच्छावा को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। सत्र 2016 में स्नातकोत्तर परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले सत्येन्द्र, रामदास यादव, दीक्षा, मुनालाल, भोजनी राकेष जगदीषभाई, अतुल कुमार जैन, विनोद डूडी, अमिल शर्मा, मनीष कुमावत, दिप्ती सोहेल, कपिल कुमान रेनवाल, अंजलि कुमारी गंगवाल, सोनी करूपबेन कमलेषकुमार, को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

लैग्वेंज लैब, सौर ऊर्जा संयंत्र तथा कन्या छात्रावास विंग का हुआ उद्घाटन: इससे पूर्व मुख्य अतिथि केन्द्रीय वित एवं कार्पोरेट मामलात के राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल व अतिथियों ने प्रातः 10 बजे विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल की नई विंग, लैंग्वेज लैबोरेट्री और सौर उर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। मेघवाल ने विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल की ईस्ट विंग का उद्घाटन किया। 81 लाख रूपए की लागत से बनी इस विंग में 18 ट्रिपल सीटेड कमरे, 8 बाथरूम तथा अन्य सुविधाएं शामिल हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की लैंग्वेज लैब का उदघाटन किया जिसमें अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी का ज्ञान बढ़ाने के उद्देश्य से एक नया भाषायी साफ्टवेयर रखा गया है। इसकी लागत 32 लाख रूपए आयी है, जबकि इस पर प्रतिवर्ष 4.50 लाख रूपये व्यय होगा। लैब में 25 कम्प्यूटर विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाये गये हैं। विश्वविद्यालय ने केन्द्र सरकार के ग्रीन इनिशियेटिव कार्यक्रम का अनुसरण करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में 100 केवीए क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्रा स्थापित किया है। केन्द्रीय मंत्री ने इस प्लांट का उद्घाटन किया। इसके तहत भवन की छतों पर सौर उर्जा के 400 पैनल लगाए गए हैं। 80 लाख रूपए की लागत से बने इस संयंत्रा से 1.40 लाख यूनिट विद्युत का वार्षिक उत्पादन हो सकेगा। इनमें से 24 लाख रूपए राजस्थान नवीन उर्जा निगम लिमिटेड द्वारा तथा 54 लाख रूपए विश्वविद्यालय ने व्यय किए हैं। इस संयंत्र को इंटर ग्रिड से भी जोड़ा गया है।

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