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जयपुर।  राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि गोचर भूमि पर किसी प्रकार का माइनिंग कार्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने आश्वस्त किया कि यदि गोचर भूमि में माइनिंग की शिकायत प्राप्त होने पर सम्बन्धित अधिकारी या कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।
चौधरी प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि राज्य में 13 दिसम्बर 2011 को जारी एक परिपत्र द्वारा गोचर भूमि पर किसी भी प्रकार का माइनिंग कार्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भी गोचर भूमि पर माइनिंग कार्य में किसी भी अधिकारी व कर्मचारी द्वारा किसी भी स्तर पर किसी भी प्रकार का सहयोग किया गया है तो सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि राज्य में कहीं पर भी किसी बड़े भू-माफिया के विरूद्ध गोचर भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत प्राप्त होती है तो जांच कराई जाएगी तथा जांच में दोषी पाये जाने पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने के साथ ही उसके विरूद्ध निश्चित रुप से की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में कई स्थानों पर गरीब लोगों द्वारा मजबूरी में अथवा अज्ञानता में कहीं पर भी छोटे स्तर पर अतिक्रमण किया हुआ है उसका परीक्षण किया जाएगा तथा इस सम्बन्ध में नीति बनाई जाएगी। उन्होंने राज्य में गोचर भूमि के संरक्षण व संवर्धन के लिए गोचर भूमि विकास बोर्ड का गठन करने के सम्बन्ध में आश्वस्त किया कि राज्य सरकार के स्तर पर प्राप्त सुझावों पर फैसला कर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा।
इससे पहले विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा के मूल प्रश्न के जवाब में चौधरी ने बताया कि राजस्थान काश्तकारी (सरकारी) नियम 1955 के नियम 6 के तहत प्रति पशु 1/2 बीघा भूमि गोचर रखे जाने के प्रावधान है। उन्होंने राज्य के जिलों में स्थित चारागाह भूमि का जिलेवार विवरण सदन के पटल पर रखा।
उन्होंने बताया कि राजस्थान काश्तकारी नियम 1955 लागु होने के समय चारागाह भूमि का प्रदेश में 1297886.26 हेक्टेयर क्षेत्रफल से बढ़कर 1 जुलाई, 2017 तक 1422013.32 हेक्टेयर क्षेत्रफल हुआ है।  इस प्रकार चारागाह के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है।
श्री चौधरी ने बताया कि चारागाह भूमि पर अतिक्रमियों के विरूद्ध राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के तहत कार्यवाही की जाती है। इस संबंध में समय-समय पर निर्देश जारी किये गये है जिनमें परिपत्र दिनांक 11 सितम्बर, 2017 एवं परिपत्र दिनांक 20 मई, 2019 सम्मिलित है। उन्होंने इन परिपत्रों की प्रति सदन के पटल पर रखा।

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