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बीकानेर। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर द्वारा जैसलमेर जिले में शनिवार व रविवार उष्ट्र पालकों के साथ उष्ट्र पालन व्यवसाय एवं इससे जुड़ी विभिन्न समस्याओं आदि के संबंध में परिचर्चाएं की गई। परिचर्चाओं में कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ.गुरबचन सिंह के साथ केन्द्र निदेशक डॉ. पाटिल, एनआरसीसी वैज्ञानिक तथा जैसलमेर के धोलिया एवं सम गांवों के ऊँट पालकों, किसानों एवं जन प्रतिनिधियों (सरपंच आदि), प्रगतिशील किसानों ने शिरकत की।
जैसलमेर के सम गांव व धोालिया गांव में वैज्ञानिक-कृषक संवाद, पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। परिचर्चा में में डॉ.गुरूबचन सिंह ने कहा कि परिवर्तित परिस्थितियों में उष्ट्र पालन व्यवसाय को और अधिक पुख्ता बनाने हेतु इसकी बहुआयामी उपयोगिता सिद्ध की जानी चाहिए जैसे ऊँटनी का दूध एवं पर्यटन व्यवसाय को और अधिक बढ़ावा दिया जाए ताकि यह पशु किसानों के लिए किफायती बन सके। केन्द्र निदेशक डॉ.एन.वी. पाटिल ने कहा कि अब उष्ट्र पालक इस व्यवसाय से हताश न हो बल्कि दुगने जोश के साथ इससे जुड़े। राजस्थान ऊँटनी के दूध का व्यवसाय कर न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। परिचर्चा के दौरान किसानों के प्रश्नों यथा-चारा उत्पादन, चारा भण्डार पर डॉ.सिंह ने आश्वासन देते हुए कहा कि इस संबंध में सचिव, पशुपालन विभाग से चर्चा कर उचित निराकरण करवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
केन्द्र निदेशक डॉ. एन. वी. पाटिल ने बताया कि कहा कि फूड सेफ्टी एण्ड स्टेंडर्डस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा हजारों सैंपल का मुआयना करने के बाद ऊँटनी के दूध को नवम्बर, 2016 में मानवीय खाद्य पदार्थ के रूप में मान्यता प्रदान की गई है जो कि केन्द्र की इस प्रजाति को बचाने की दिशा में बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। अब ऊँट पालक ऊँटों का खुले तौर पर दूध उत्पादन का व्यवसाय कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें समूह रूप में (अमूल संस्था की तरह) आगे आना होगा, वे अच्छे स्वरूप एवं मांग अनुसार दूध का उत्पादन कर अपनी समाजार्थिक स्थिति में सुधार लाएं। इस अवसर पर जैसलमेर में स्थित काजरी के क्षेत्रीय केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. जे.पी. सिंह ने भी चारागाह विकास संबंधी नए स्रोतों की जानकारी दी।
धोलिया में आयोजित इस कार्यक्रम में वहां के सरपंच श्री सत्यनारायण, प्रगतिशील किसान बगड़ूराम सहित लगभग 70 किसानों ने भाग लिया तथा केन्द्र की ओर से आयोजित पशु स्वास्थ्य शिविर से लाभान्वित हुए। इस अवसर पर सरपंच श्री सत्यनारायण द्वारा ओहरण जमीन को फॉरेस्ट विभाग द्वारा अधिकार क्षेत्र में लेने पर ऊँटों की चराई-चरागाह की समस्या की बात उठाई गई। दो दिवसीय जैसलमेर कार्यक्रम से पूर्व राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में व्याख्यान कार्यक्रम में डॉ.गुरबचन सिंह ने भागीदारी निभाई।

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