Share

बीकानेर,। मुक्ति संस्था द्वारा होटल ढोला.मारू में मेरे आंगन कार्यक्रम के तहत भारतीय भाषाओं का कविता.उत्सव का आयोजन हुआ जिसमें हिंदी.राजस्थानी और उर्दू के अलावा पंजाबीए बंगाली सिंधी और अंग्रेजी भाषा में शहर के कवियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधान के रूप में बोलते हुए कहानीकार-व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि बीकानेर शहर की गरिमा में इस बात को भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि यहां न केवल राजस्थानी, हिंदी और उर्दू वरन अन्य भारतीय भाषाओं में भी लेखन हो रहा है। अगर मुक्ति के मेरे आंगन जैसे मंच मिले तो ऐसी प्रतिभाओं की इस शहर में कमी नहीं है कि वे भारतीय एकता.अखंड़ता और सद्भावना की गंगा.जमुनी झांकी को सहेज हुए एक मिशाल बन सके। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध सामाजसेवी और राजस्थानी लोक संस्कृति के विद्वान भंवर पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि डिंगळ और राजस्थानी की समद्ध परंपरा हमारे यहां रही है और भाषाओं की विविधता में कविता अपने भीतर नाद की जो झांकी श्रवण से प्रगट करती है उसके लिए भाषा के बंधन नहीं होते। उन्होंने कार्यक्रम में पठित कविताओं पर हर्ष प्रगट करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि आज के कार्यक्रम में एक छोटा भारत अपनी विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोकर यहां प्रस्तुत किया गया है।

Press-Note 12-02-2017 (1)
कार्यक्रम में पठित कविताओं पर आलोचनात्मक टिप्प्णी के अंतर्गत प्रख्यात साहित्यकार पत्रकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि कविता दिखने में जितनी सहज और सरल होती है वह उतनी ही जटिल और गुंफित विन्यास की मांग करती है। विभिन्न भारतीय भाषाओं की कविताओं को उनमें प्रस्तुत भाव और संवेदनाएं ही वे घटक हैं जो उन्हें दूर तक ले जाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि मेरे आंगन में प्रस्तुत भारतीय भाषाओं की विभिन्न कविताओं द्वारा बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला है जो निसंदेह ऐसे और इस कार्यक्रम की बड़ी सफलता है।
कार्यक्रम में पठित कविताओं पर आलोचनात्मक टिप्प्णी के अंतर्गत कवि.आलोचक डॉण् नीरज दइया ने कहा कि कोई कवि जिस किसी भी भाषा में लिखता हो उस अपनी परंपराएलोक.साहित्य और समकालीन साहित्य से अच्छा खासा परिचय रखना चाहिएए अन्यथा वह कुछ रचते हुए भी कुछ नवीन अवदान नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में पठित विभिन्न भारतीय भाषाओं को गौर से सुनने पर उनमें अनेक शब्दों.ध्वनियों और नाद की एक समानता और समरूपता के दर्शन किए जा सकते है जो सिद्ध करते हैं कि यह कविता का अखिल भारतीय स्वर बीकानेर जैसे शहर में भी सतत प्रवाहशील है।
आए हुए कवियों और आगंतुक सुधि श्रोताओं का स्वागत करते हुए हिंगलाज रतनू ने कहा कि हर्ष का विषय है कि इस प्रांगण में इतने कवि विभिन्न भाषाओं की काव्य रचनाओं के साथ उपस्थित हुए हैं जो निश्चय ही हमारे आस्वाद का विस्तार करने वाले हैं। कार्यक्रम के संयोजक और कवि.कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने कार्यक्रम के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए मुक्ति संस्थान द्वारा मेरे आंगन कार्यक्रम की अवधारणा को स्पष्ट किया वहीं विभिन्न भारतीय भाषाओं के लिए बीकानेर के साहित्यकारों के अवदान को भी रेखांकित किया। कार्यक्रम में जोशी ने अपनी तीन हिंदी कविताओं का पाठ भी प्रस्तुत किया। सबने देखा बारह किलोमीटर उसकी मुर्दा मां को जैसे मार्मिक काव्य पंक्तियों से देश और समाज का चित्रण करने वाले जोशी की प्रेम और मुस्कान विषयक कविताओं को भी सराहना मिली।
हिंदी कवि नवनीत पाण्डे ने ष्आसमान में घोंसला तो नहीं बना सकतेष्ए ष्सोचो राजन सोचो !ष् एवं ष्वसंतष् गीत प्रस्तुत कर माहौल को कविता मय कर दिया। लेखक आत्माराम भाटी ने राकेश टीण् कांतिवाल द्वारा किया हुआ कवि डॉण्नीरज दइया की राजस्थानी कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद कार्यक्रम में प्रस्तुत किया। वहीं डिंगळ के प्रमुख हस्ताक्षर गिरधर दान रतनू ष्दासोड़ीष् ने अपनी राजस्थानी और डिंगळ कविताओं के माध्यम से नई ऊर्जा और ओज का संचार किया। ष्सुरराज करी गजराज सवारियए मौज वरीसन आज मही।ष् के साथ बेटी बचाओ.बेटी पढ़ाओं कविताओं को श्रोताओं ने पसंद किया।
उर्दू के शायर वली गौरी ने अपने अलग अंदाज में शेर पढते हुए आगज किया तो कार्यक्रम में पठित गजल के हर शेर पर दाद बटरते अमन और भाईचारे का संदेश दिया। कवयित्री डॉण् मंजू कच्छावा ने पंजाबी में दो गजलों को तरन्नुम के साथ प्रस्तुत किया वही कविता दीवा ने जैसे हर्ष का संचार किया। ष्कल्ले कल्ले जी रहे हो तुस्सी वीष् और ष्हात्थ तूं मेरा फड़ न सक्याष् जैसी पंक्तियों से पंजाब की माटी बीकानेर में महकने लगी। सिंधी कवि के रूप में साहित्यकार मोहन थानवी ने वर्तमान हालत पर संस्कारों और अपनेपन की बात की। थानवी खी कविताओं में सिंधी संस्कृति की हवा का एक झौंका और आगन में ऊर्जा देती जलती अग्नि का दृश्य जैसे कविता में साकार हो उठा। बंगाली भाषा की कविता प्रस्तुत करते हुए कवयित्री सुश्री पूर्णिमा मित्रा ने एक दिन की झलक प्रस्तुत की वहीं अपने कुछ अनुभव भी श्रोताओं के बीच साझा किए।
हिंदी गीत के अंर्तगत वसंत के आगमन को अपनी सुरीली आवाज में कवयित्री डॉण् रेणु व्यास ने साझा किया तो राजस्थानी कवि गौरीशंकर प्रजापत ने जीवन और समाज के गूढ रिस्तों का कविता में रेखांनक करते हुए खुलासा किया। राजस्थानी और डिंगळ कविताओं के पाठ के अंतर्गत कवि कवि जगदीश रतनूए साहित्यकार मोईनूद्दीन कोहरीए कवि कैलाश रतनू ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि सरदार अली परिहारए मुनीन्द्र अग्निहोत्रीए राहुल रंगा ष्राजस्थानीष्ए शंकरलाल व्यासए नदीम अहमद नदीम आदि अनेक श्रोता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन मुक्ति के सचिव कवि.कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने किया तथा अंत में आभार कवि नाटककार हरीश बीण् शर्मा ने प्रगट किया।

About The Author

Share

You cannot copy content of this page