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जयपुर। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (रोडवेज) कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे की बकाया वेतन एवं पेंशन तथा भविष्य की ठोस आर्थिक व्यवस्था बनाने की मांग को लेकर सरकार से आज बातचीत असफल रहने पर 18 सितम्बर से दो दिन तक बसों का चक्का जाम की घोषणा की गई है।
संयुक्त मोर्चे के नेता एम एल यादव ने बताया कि सरकार के साथ हुई बातचीत में वेतन एवं पेंंशन समय पर देने पर सहमति हुई लेकिन भविष्य में खर्चों पर नियंत्रण की जिम्मेदारी डालने से बात बिगड़ गई जिसकी वजह से 18 सितम्बर से दो दिन तक बसों का चक्का जाम रहेगा। उन्होंने बताया कि सरकार के प्रतिनिधि यह चाहते थे कि भविष्य में महंगरई भत्ता तथा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं करने की सहमति दी जाये जो कर्मचारियों के हितों के अनुरूप नहीं होने के कारण नहीं मानी गई।
उन्होंने बताया कि सरकार के प्रतिनिधि दो माह के बकाया वेतन एवं पेंशन देने पर तो सहमत थे लेकिन भविष्य में कर्मचारियों के हितों के लिए ठोस व्यवस्था करने का हल उनके पास नहीं था। उन्होंने बताया कि सरकार के पास चार वर्ष से लंबित चार हजार सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया छह सौ करोड रूपये देने की योजना भी नहीं थी। इसके अलावा बस चालक, परिचालकों की भर्ती , बस की मरम्मत करने वाले तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती की मांग भी नहीं मानी गई।
श्री यादव ने आरोप लगाया कि रोडवेज की हालत सुधारने के लिए बेशकीमती जमीन बेचने पर सरकार उतारू है जिसका बातचीत में विरोध जताया गया। सरकार को यह बताया गया कि घर का सामान बेचकर कोई भी अमीर नहीं बन सकता।
भारतीय मजदूर संघ और सरकार के बीच कल हुए समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि 45 करोड रूपये प्रतिमाह देने के वायदे में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इसमें रियायती दर पर चलने वाले यात्रियों का 16 करोड रूपये का खर्च भी शामिल है । श्री यादव ने बताया कि चक्का जाम से पहले 15 सितम्बर को परिवहन मंत्री तथा 17 सितम्बर को मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया जायेगा।
इधर परिवहन मंत्री युनूस खान ने बातचीत समाप्त होने के बाद एक बयान में कहा कि रोडवेज कर्मचारियों के प्रतिनिधि सरकार के प्रस्ताव से सहमत थे लेकिन एक व्यक्ति राजनीतिक लाभ के लिए समझौता नहीं चाहता था। उन्होंने उक्त व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं किया। 

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