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जयपुर । आजकल अधिकांश व्यापारियों, विक्रेताओं की ओर से जारी किये जाने वाले कैश मेमो, बिलों पर यह छपा हुआ होता है कि ’बिका हुआ माल वापस नहीं होगा’ जबकि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसे रोका जाना बहुत ही जरूरी है।
उपभोक्ता मामले विभाग के उपनिदेशक संजय झाला ने बताया कि जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच को अनुचित व्यापार-व्यवहार के विरूद्ध संबंधित व्यापारी को आवश्यक रूप से निर्देश देने के कानूनी अधिकार भी प्राप्त हैं।
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण-प्रोत्साहन एवं व्यापारिक विश्वसनीयता को देखते हुए व्यापारियों को यह करना चाहिए कि वे विकसित देशों की तरह अपने उत्पादों पर यह अंकित करे कि ’उपभोक्ता किसी उत्पाद से संतुष्ट नहीं है तो वह एक निर्धारित समयावधि में सामान वापस कर अपनी धनराशि वापस प्राप्त कर सकता’ है।

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