Share

हैलो बीकानेर।  दोस्तों जैसा कि आपको विदित है कि आज यानि 27 अक्टूबर को करवा चौथ है और हिन्दू रीति नीति के अनुसार आज सभी सुहागन महिलाये उपवास रखती है और सुहागन महिलाओ के लिए सबसे कठोर व्रत ये ही है यानि की सारे व्रतो में सुहागन महिलाओ के लिए कठोर अग्नि परीक्षा वाला व्रत । आइये जाने ये कैसे शुरू हुआ ।

एक गाँव में 5-6 भाइयो की इकलौती,लाड़ली और सबसे छोटी बहन थी, चौथ का व्रत था और लाड़ली बहन सुबह से भूखी थी यह सारे भायो से देखा नही जा रहा था, चूँकि चाँद देखकर चौथ का व्रत महिलाये करती है और चौथ का चाँद देरी से उदय होता है तो भाइयो ने सोचा कि क्यों न किसी ऊँचे स्थान पर अग्नि जला के और उसमे एक चालनी अग्नि के आगे रखकर बहन को दिखा दे कि चाँद उदय हो गया और योजना के अनुसार ऐसा ही करके उनका उपवास खुलवा दिया किन्तु उनकी भाभीयों ने ऐसा नही किया अब विधि की विडम्बना देखिये की उसके पति की तबीयत अचानक बिगड़ी और उसका निधन हो गया । फोटो : दाऊ व्यास 

उसके बाद उसको पता चला की मेरे भाइयो ने मेरा उपवास खुलवाने के लिए छल किया । उसके बाद वह् अपने मृत पति को लेकर किसी सुनसान जंगल में लेकर एक सङ्कल्प के साथ चली गयी और भगवान से अरदास करने लगी की जब तक मेरे पति को वापिस जीवित नही करेंगे मै अन्न जल कुछ भी ग्रहण नही करूंगी एक कठोर अग्नि परीक्षा और उसके दृढ़ सङ्कल्प के आगे भगवान को भी झुकना पड़ा और उसके पति को पुनः जीवन मिला । उसके बाद से हर सुहागन महिला ने इस व्रत का पालन इस प्रार्थना के साथ करती आ रही है कि मेरे पति को लम्बी उम्र दे ।
आज भी यह व्रत प्रत्येक घर में खाजा,काचर,बोर,फली को एक थाली में रखकर और एक लौटे में जल भरकर ये लोकोक्ति बोलती है
करवो ले बाई करवो ले, भायो री बहन करवो ले ।
व्रत भोगणी करवो ले । कले कारणि करवो ले ।
ऐसा एक दूसरे के हाथ में सुहागन महिलाये दे दे कर बोलती है । और रात को चाँद के उदय के बाद दर्शन करके पति के हाथ से जल पीकर व्रत करती है । आज के दिन पति देवो के भाव भी सातवे आसमान पर रहते है यानि को 365 दिन में उसे भी एक दिन यह एहसास होता है पति होने का ।
सभी सुहागन महिलाओ को करवा चौथ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाये । यह दिन हर वर्ष आपके लिए ढेर सारी खुशिया लाये । आप स्वस्थ रहे, व्यस्त रहे और सिर पर सिंदूर के साथ मस्त रहे । जय मातृशक्ति की ।
राजकुमार व्यास
बीकानेर सेवा योजना
9928511766

About The Author

Share

You cannot copy content of this page