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भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के विजेता हुए पुरस्कृत
बीकानेर। अखिल विश्व गायत्राी परिवार द्वारा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के विजेताओं को रविवार को पुरस्कृत किया गया। पुरानी गिन्नाणी स्थित गायत्राी शक्ति पीठ में आयोजित कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी थीं। उन्होंने बच्चों को सीख देते हुए कहा कि हीरा बनना है, तो तपना पड़ेगा। उन्होंने जीवन में संस्कारों की भूमिका को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया।
चतुर्वेदी ने कहा कि संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते हैं। बच्चे भी अपने माता-पिता को देखकर ही सीखते हैं। ऐसे में मां का शिक्षित होना भी जरूरी है। बेटियों के साथ-साथ बेटों का संस्कारित करने और उनके मन में मां, बहिन और बेटी के प्रति सम्मान के संस्कार के भाव पैदा करने होंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जैसी स्पर्धाओं से संस्कारों की पुनर्स्थापना हो सकेगी। उन्होंने आह्वान किया कि बीकानेर के ऐसे सौ युवा आगे आएं जो कच्ची बस्तियों में रहने वाली सौ बहिनों से रक्षा सूत्रा बंधवाएं और जीवन भर उनकी सुरक्षा का जिम्मा लें। इससे समाज की दिशा और दशा में आमूलचूल परिवर्तन आ जाएंगे।
राजकीय एवं निजी गृहों में करवाएं प्रतियोगिता
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने आह्वान किया कि गायत्राी परिवार राज्य के 33 जिलों के सरकारी, अनुदानित एवं निजी बालिका एवं संप्रेषण गृहों में भी ऐसी प्रतियोगिताएं करवाएं, जिससे इन केन्द्रों की आवासिनियों को भी संस्कार और संस्कृति की जानकारी हो सके। उन्होंने फरवरी में बीकानेर में लगातार 24 घंटे पेंटिंग करके बाल सुरक्षा का संदेश देने की जानकारी दी।
भारत स्काउट एंड गाइड की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विमला मेघवाल ने कहा कि आज हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। हमारे संस्कार, कुशल जीवन दर्शन के साथ वैज्ञानिक तर्कों पर आधारित हैं। हमें इनका प्रत्यक्ष लाभ मिलता है। उन्हांेने चरण स्पर्श करने, सुबह जल्दी उठने सहित विभिन्न संस्कारों के वैज्ञानिक आधार की जानकारी दी। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि भारत सदैव विश्व गुरू रहा है। हमारे देश को यह उपाधि यहां की ज्ञान परम्परा के कारण मिली।
भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के जिला संयोजक मुकेश व्यास ने बताया कि अक्टूबर में आयोजित इस परीक्षा में जिले के 217 विद्यालयों के 14 हजार से अधिक विद्यालयों-महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। रविवार को कक्षा 5 से 12वीं तक जिला एवं तहसील स्तर पर विजेता 169 बच्चों को नकद, साहित्य एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बसंल क्लासेज के सुमित शर्मा, नंद भैया मंच पर मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन देवेन्द्र सारस्वत ने किया। इससे पहले गायत्राी मंत्रा के उच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गई।
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‘सूरज’ को पुरस्कृत करेगा बाल अधिकार संरक्षण आयोग-मनन चतुर्वेदी

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बीकानेर, 22 जनवरी। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने कहा कि ‘सूरज’ की बहादुरी के लिए उसे राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा। चतुर्वेदी ने रविवार को सर्किट हाउस में पंचकूला के बालक सूरज एवं उसके परिजनों से मुलाकात के दौरान यह बात कही। उल्लेखनीय है कि पंचकुला जिले की कालका तहसील के मडावाला गांव से अपहरण किए जाने के बाद शनिवार को सूरज अपनी सूझबूझ से महाजन रेलवे स्टेशन पर अपहरणकर्ता के चंगुल से मुक्त हुआ था।
चतुर्वेदी ने सूरज की प्रशंसा करते हुए कहा कि उसने बहादुरी की मिसाल कायम की है, जिससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे गिरोहों की धरपकड़ के लिए प्रभावी प्रयास किए जाएंगे व इनसे सख्ती से निबटा जाएगा। उन्होंने कहा कि आमजन स्वयं भी जागरूक रहकर पुलिस को सहयोग दें, जिससे ऐसे असामाजिक तत्वों से बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके। चतुर्वेदी ने सूरज को मिठाई हेतु अपनी ओर से 500 रूपए देते हुए कहा कि उसे आयोग की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने सूरज व उसके पिता सत्येन्द्र से बातचीत कर घटनाक्रम की जानकारी ली।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष वाई के शर्मा ने बताया कि महाजन रेलवे स्टेशन पर अपहरणकर्ता से मुक्त होने के पश्चात महाजन पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया। रात को उसे किशोर गृह में रखा गया व रविवार को उसके पिता व पिंजोर थाने के हेडकॉन्स्टेबल जगदीश कुमार के साथ उसके निवास स्थान भेज दिया गया।
इस अवसर पर मोहन सुराणा, शिवकुमार रंगा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक एल डी पंवार, शांतिलाल व्यास, अरूणा भार्गव, जयश्री पारीक, हाजरा बानो, अरूण जैन उपस्थित थे।

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