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बीकानेर। महिलाओं को आज के दौर में आवश्यकता है ऐसी मुहिम चलाने की जिसमें उनका आत्मरक्षा में हथियार रखना सरकारों द्वारा वैध किया जाने की मांग रखी जाए। अब केवल कानून या समाज को अपना प्रहरी मानकर चलना भारी भूल होगी। यह कहना था एमजीएसयू के सेंटर फॉर विमेंस स्ट्डीज की डायरेक्टर डॉ. मेघना शर्मा का।

वे शनिवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला संबद्ध राजकीय महाविद्यालय 16 मील द्वारा वूमेन इन ट्वेंटी फर्स्ट सेंच्युरी : इश्यूज़ एंड चैलेंजेज़ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के समापन सत्र को मुख्य अथिति के तौर पर संबोधित कर रही थीं।

प्राचार्या ललिता चंदन के स्वागत भाषण के उपरांत वर्तमान युग की दिल दहलाने वाली घटनाओं के साथ साथ डॉ. शर्मा ने इतिहास, विभाजन काल व संबंधित साहित्य में महिलाओं के साथ घटित उन वीभत्स घटनाओं के हवाले से अपना उद्बोधन दिया जहां महिलाओं को बेचे जाने के अलावा दुराचार व अंग-भंग जैसी विद्रूपताओं का सामना करना पड़ा था।आयोजकों द्वारा मंच से डॉ. मेघना को शॉल, पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इससे पूर्व सेमिनार के प्रथम दिन हिमाचल प्रदेश सरकारी के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत के शर्मा ने मुख्य अथिति व जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली की प्रो. अरविंदर. ए. अंसारी ने बीजवक्ता के रूप में अपना उद्बोधन दिया। आयोजन सचिव रुचि रमेश द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया। मुख्य अतिथि डॉ. मेघना द्वारा अंत में सत्राध्यक्षों, सहायक संस्थाओं, व आयोजक टीम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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