करीब 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों (central employess) के लिए बुधवार शाम बड़ी खुशखबरी आई. कैबिनेट ने एक अहम फैसले में सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बदलाव के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी. सरकारी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ भत्ता 1 जुलाई से मिलने लगेगा. इसके लागू होने के बाद सरकार पर कुल 30,748 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा.
इसका ऐलान करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले HRA में वेतन आयोग की सिफारिशों से ज़्यादा बढ़ोत्तरी को मंज़ूरी दी है.
HRA की नई दरें
-जब किसी सरकारी कर्मचारी का DA बेसिक पे का 25% तक पहुंचेगा, तो उसे अलग-अलग कैटगरी के शहरों के लिए HRA 27%, 18% और 9% की दर से मिलेगा.
-जब किसी सरकारी कर्मचारी का DA बेसिक का 50% तक पहुंचेगा तो उसे अलग-अलग कैटगरी के शहरों के लिए HRA 30%, 20% और 10% की दर से मिलेगा.
-निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए एक फ्लोर तय किया जाएगा, उनका HRA उसी के आधार पर तय होगा.
सियाचिन भत्ता में बढ़ोत्तरी
-सातवें वेतन आयोग ने लेवल 9 और उसके ऊपर के लिए 31,500 की सिफारिश की थी.
-सरकार ने उसे बढ़ाकर 42,500 करने का फैसला किया है.
-सातवें वेतन आयोग ने लेवल 8 और उसके नीचे के लिए 21,000 की सिफारिश की थी.
-सरकार ने उसे बढ़ाकर 30,000 करने का फैसला किया है।.
कर्मचारियों के भत्ते में सुधार
-पेंशनधारियों को फ्री मेडिकल भत्ता हर महीने 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये किया गया.
-रिमोट इलाकों में काम करने वाले कर्मचारियों को स्पेशल कम्पन्सेशन भत्ता की व्यवस्था में सुधार किया गया है.
-टेक्निकल भत्ता को पुनर्गठित किया गया है.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस (7th Pay Commission Allowances) के मुद्दे पर कर्मचारियों को सरकार से फैसले का इंतजार था. लिहाजा, आज की कैबिनेट बैठक में अलाउंस से जुड़े कैबिनेट नोट पर चर्चा पर सरकारी कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे.
जानकारी के लिए बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी विदेश दौरे से मंगलवार रात को ही लौटे थे और इस वजह से बुधवार सुबह होने वाली बैठक को शाम पांच बजे के लिए निर्धारित किया गया था. पिछले कुछ हफ्तों से किसी न किसी वजह से सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस के मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा नहीं हो पा रही थी और इससे कर्मचारियों में इंतजार बढ़ता जा रहा था. ऐसा कहा जा रहा था कि कभी वित्त मंत्री अरुण जेटली तो कभी वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के दिल्ली में न रहने की वजह से इस मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में नहीं रखा जा रहा था.
कर्मचारी संघों के सूत्रों का कहना था कि सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने इस मुद्दे पर चर्चा के बाद कैबिनेट नोट तो तैयार कर लिया था.
बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों को अन्य अलाउंसेस के अलावा एचआरए के मुद्दे पर सरकार के फैसले का करीब एक साल से इंतजार था. उल्लेखनीय है कि पिछले साल 28 जून को ही सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था. सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू करने का ऐलान किया था, लेकिन वेतन आयोग की कई सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों ने कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति जताई थी. इन मुद्दों में अलाउंसेस को लेकर विवाद भी था.
सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल को वित्तमंत्री को सौंप दी थी. वित्त मंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति को भेजी गई थी. अब इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद 1 जून को सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था.
जानकारी के लिए बता दें कि सातवें वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे, लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया था, जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए थे. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल था.
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था.. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से यह सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं.
साभार : एनडीटीवी इंडिया