जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि राज्य सरकार ने सेवारत चिकित्सकों की समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीरता से प्रयास कर उनकी अनेक समस्याओं का समाधान किया है एवं शेष समस्याओं के समाधान के लिए भी निरन्तर कार्यवाही की जा रही है। उन्हाेंंने कहा कि सेवारत चिकित्सक संघ के साथ वार्ता के द्वार खुले हुए हैं एवं संघ के प्रतिनिधि किसी भी समय आकर चर्चा कर सकते हैं।
श्री सराफ ने कहा कि चिकित्सा विभाग मरीजों के उपचार के प्रति गंभीर है एवं सेवारत चिकित्सकों की अनुपस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए वैकल्पिक व्यवस्थायें की गयी है। उन्होंने बताया कि अनेकों बार सेवारत संघ के प्रतिनिधि मण्डल से वार्ता कर गतिरोध दूर करने के प्रयास किये गये लेकिन संघ ने हठधर्मी रवैया अपना रखा है। उन्होंने बताया कि 5 नवम्बर को रात 12 बजे संघ के पदाधिकारियों के आग्रह पर वार्ता कर 6 सूत्री मांगो पर सहमति बनी। लेकिन संघ के प्रतिनिधियों ने रात 2 बजे समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। इसके बावजूद 7 नवम्बर को संघ को पुनः वार्ता के लिए आमंत्रित किया। इस 4 घंटे की वार्ता के बाद संघ की अधिकाशं मांगों पर सहमति बनी किन्तु वित्तीय मांगों पर संघ द्वारा तत्काल क्रियान्वयन की मांग की गई और संघ पदाधिकारी की हठधर्मिता के कारण फिर कोई समझौता नहीं हो सका। राज्य सरकार द्वारा 9 नवम्बर को पुनः वार्ता हेतु संघ को आमंत्रित कर अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त, गृह आयुक्त, प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा, चिकित्सा शिक्षा सचिव एवं वित्त सचिव की मौजूदगी में विस्तार से वार्ता की गयी। लेकिन संघ पदाधिकारी की हठधर्मिता के कारण ये वार्ता भी सफल नहीं हो सकी।
श्री सराफ ने बताया कि सेवारत चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए राजकीय चिकित्सा संस्थानों में आमजन को उपलब्ध करायी जाने वाली चिकित्सा व्यवस्थाओं को नियमित बनाये रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्थायें जारी है। सेवारत चिकित्सकों की अनुपस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए संबंधित चिकित्सा संस्थानों में वैकल्पिक व्यवस्थायें की गयी। सेना, रेलवे, बीएसएफ, सीजीएचएस एवं भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सूचीबद्ध निजी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सा सुविधायें सुलभ कराने के साथ ही आयुष चिकित्सकों ने राजकीय चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि कई जिलों में सेवारत चिकित्सकों ने भी अपनी नियमित सेवायें प्रदान की है। इनके साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, शहरी स्वास्थ्य मिशन, एनसीडी तथा अर्जेन्ट टेम्परेरी बेसिस पर कार्यरत चिकित्सकों ने राजकीय चिकित्सा संस्थानों में जाकर कार्यभार संभाला।नये स्थापित किये जाने वाले सातों मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त किये गये चिकित्सकों ने संबंधित जिला चिकित्सालयों में चिकित्सा व्यवस्थायें संभाली। निजी चिकित्सा महाविद्यालयों ने संबंधित जिलों में अपने चिकित्सक भेजकर चिकित्सा सेवाओं को नियमित बनाये रखने में सहयोग किया।
श्री सराफ ने बताया कि जयपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में बड़े निजी चिकित्सा संस्थानों के साथ ही नर्सिंग होम्स में मरीजों को निःशुल्क ओपीडी की सेवायें उपलब्ध करवायी जा रही है। जिला कलक्टरों को 56 हजार प्रतिमाह पर चिकित्सक अर्जेन्ट टेम्परेरी बेसिस पर लगाया जा रहा है।