जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को एक एतिहासिक फैसला सुनाया। तीन सालों के संघर्ष के बाद ट्रांसजेंडर गंगा कुमारी राजस्थान पुलिस में कास्टेबल बन गईं। गंगा अपने आपको बचपन से ही लड़की मानती थी, उसी लिहाज से उसकी परवरिश पढ़ाई-लिखाई भी हुई। उसका सपना था, कि वह पुलिस कांस्टेबल बने। उसने कड़ी मेहनत से लिखित परीक्षा, फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास किए, उसका चयन भी हो गया, लेकिन जब बात नियुक्ति की आई तो उसे टालमटोल वाला जवाब दिया जाता रहा। आपको बता दें कि तमिलनाडु में ट्रांसजेंडर प्रतीका सब इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हैं।
कोर्ट के आदेश से ट्रांसजेंडर को नियुक्ति मिलेगी
दो साल तक सरकार और विभाग से सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने उसे नियुक्ति के योग्य मानते हुए सरकार को छह सप्ताह में पोस्टिंग देने के आदेश दिए हैं। साथ ही वर्ष 2015 से नियुक्ति के सभी बेनिफिट्स नोशनल रूप से देने के निर्देश दिए हैं। यह प्रदेश में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट के आदेश से ट्रांसजेंडर को नियुक्ति मिलेगी।
2013 में कांस्टेबल के लिए निकली थी भर्ती
जालोर जिले के रानीवाड़ा क्षेत्र में जाखड़ी गांव निवासी गंगा कुमारी ने वर्ष 2013 में कांस्टेबल के लिए निकली भर्ती में आवेदन किया था। उसी साल लिखित परीक्षा हुई और उसमें उत्तीर्ण होने पर उसका फिजिकल टेस्ट हुआ। यह टेस्ट पास करने के बाद उसे मेडिकल के लिए बुलाया गया। मेडिकल से पहले ट्रांसजेंडर का प्रमाण पत्र पेश किया तो टेस्ट लेने वाले चौंक गए।
ओबीसी कैटेगरी में उसका 148वें स्थान पर चयन हुआ
वह मेडिकल टेस्ट में भी फिट निकली और विभाग की जारी अंतिम सूची में ओबीसी कैटेगरी में उसका 148वें स्थान पर चयन हुआ। जब नियुक्ति के लिए सूची जारी हुई तो सभी के कॉलम के आगे मेल फीमेल अंकित था, लेकिन उसके कॉलम के आगे कुछ नहीं लिखा था। गंगा कुमारी बताती है, कि वह बचपन से ही खुद को लड़की मानती और उसने फॉर्म इसी कैटेगरी में भरा, क्योंकि कोई तीसरा कॉलम ही नहीं था। साभार : वन इंडिया