जयपुर। राजस्थान पी सी सी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा की जो हालात बना दिए गए हैं एनडीए गवर्नमेंट द्वारा, उसके कारण पूरे देश का किसान आज सड़कों पर है।
बेशर्मी से जिस रूप में फैसले हो रहे हैं देश के अंदर वो सब आपकी जानकारी के अंदर मीडिया में है। पूरा मीडिया दबाव के अंदर है देश के अंदर, डेमोक्रेसी खतरे में है और जबसे ये एनडीए गवर्नमेंट आई है, तबसे ही चाहे नोटबंदी हो, चाहे जीएसटी हो, चाहे लॉकडाउन का फैसला हो और चाहे किसानों के अभी तीन बिल लाने की बात हो, एकतरफा बिना किसी को बात किए हुए किए जा रहे हैं। ये तो पूरे देश के किसान खुद ही स्टेक होल्डर थे, किसानों की भागीदारी थी, बगैर उनके संगठनों से बात किए हुए, बगैर व्यापारियों से बात किए हुए जो 40 साल पुराना कानून था राज्यों के अंदर और 40-50 साल लग गए कृषि मंडियों को जमने के अंदर उनको आप एक झटके के अंदर उखाड़ फेंकने का निर्णय कर लो, बड़े-बड़े व्यापारियों-पूंजीपतियों को छूट दे दो कि आप जो मर्जी चाहे कर सकते हो आने वाले वक्त के अंदर, आप कल्पना कर सकते हैं कि आने वाले वक्त में क्या हालात होने वाले हैं। किसानों की क्या स्थिति बनने वाली है, कोई कल्पना के बाहर की बात है।
एनडीए गवर्नमेंट द्वारा जो हालात बना दिए गए हैं, उसके कारण पूरे देश का किसान आज सड़कों पर है। किसानों की क्या स्थिति बनने वाली है, वो कल्पना के बाहर की बात है। किसान समझदार है, वो समझता है उसके हित किस रूप में सुरक्षित रह सकते हैं। #FarmersBill
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— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 25, 2020
किसान समझदार है, वो समझता है उसके हित किस रूप में सुरक्षित रह सकते हैं। एक ही बात सबसे बड़ी बात है कि एमएसपी, अब जब डिफेन्स में आ गई है गवर्नमेंट तो बार-बार वो एमएसपी की बात कर रही है। उनसे पूछो कि कानून बनाया गया उसमें एमएसपी का क्यों नहीं प्रावधान किया गया, उससे आप समझ सकते हैं कि हालात बड़े गंभीर हैं और जिस रूप में पास किए गए तीनों बिल, वो भी बड़े शर्मनाक तरीके से किए गए हैं, शर्मनाक तरीके से किए गए है।
बात नहीं सुनी गई, डिविजन नहीं करवाया गया हाउस के अंदर कभी होता नहीं है, न रेजोल्यूशन कोई प्रस्ताव रखे हॉउस के अंदर, अमेंडमेंट रखे, कोई चर्चा नहीं, इस रूप में आज ये बिल पास हुए हैं, बिल की क्या sanctity है आप समझ सकते हैं। इसीलिए तमाम विपक्ष के पार्टी के नेताओं ने जाकर राष्ट्रपति महोदय से बात की कि आपको चाहिए कि आप उस बिल पर दस्तखत नहीं करें और पूरे देश में ही बहुत बड़ा आन्दोलन खड़ा हुआ है, आप सबको मालूम है।
पर इनकी फितरत के अंदर यही है क्योंकि ये फासिस्ट सोच के लोग हैं, डेमोक्रेसी में इनका विश्वास नहीं है इसलिए तमाम काम वो कर रहे हैं जिससे कि ध्यान डायवर्ट हो। आज बॉर्डर पर चाइना की स्थिति, इकोनॉमिक स्लोडाउन है देश के अंदर, लॉकडाउन में बर्बाद हो गई अर्थव्यवस्था, जीएसटी का पैसा सरकार का वादा जो है राज्यों को पैसा देने का, लिखित में जो समझौते हुए हैं कि जीएसटी जो कम पड़ेगा राज्यों को हम उसकी भरपाई करेंगे।
अगर जो केंद्र सरकार राज्य सरकारों की वादाखिलाफी कर सकती है राज्य सरकारों के साथ में, वो सरकार कैसे कह रही है कि हम किसानों के आपस में जो कोई मनमुटाव होगा विवाद होगा तो उसके ऊपर एसडीओ और कलक्टर अपील होगी वहां पर। आप कल्पना कीजिए कि किसान और व्यापारी का कोई विवाद हो गया, अभी तो निपट जाती है कृषि मंडी की समिति में, अपील जाती है डायरेक्टर के पास में, जाती ही नहीं है, कल ही मैंने पता किया कि अपील आती ही नहीं है, ऐसी नौबत आती ही नहीं हैं।
अब अगर कोई विवाद हो गया तो पहले जाओ एसडीओ के पास में फिर जाओ कलक्टर के पास में अपील करो, क्या कलक्टर-एसडीओ के पास में टाइम है? पहले से ही दबाव के अंदर हैं। सारे प्रोविजन किए गए हैं वो किसान विरोधी हैं, मंडियां समाप्त हो जाएंगी और बहुत बड़ी बर्बादी के लक्षण दिख रहे हैं मुझे।