सादुलपुर hellobikaner.com (मदनमोहन आचार्य): चूरू जिले सहित प्रदेश के दर्जनों सीमावर्ती जिलों में निकटवर्ती अन्य राज्यों से यहाँ विवाहित आरक्षित एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग की महिलाएं अब चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगी । हालांकि ये महिलाएं यहाँ की मतदाता जरूर हैं।
गुरुवार को जयपुर हाई कोर्ट की एकल बेंच ने प्रदेश में विवाहित इन महिलाओं को इनकी आरक्षित श्रेणी में चुनाव लडऩे के लिए पात्र नहीं माना है । साथ ही सरकार द्वारा संचालित कुछ सीमित सुविधाओं हेतु आरक्षित वर्ग का जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को जारी रखने का आदेश फरमाया है । इससे पूर्व इन महिलाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण के लाभ से भी वँचित किया जा चुका है।
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पीडि़त महिलाओं का तर्क है कि वे राजस्थान में शादी उपरांत यहीं की स्थाई निवासी हो गयीं हैं और मायके से उनके सभी कागजात निरस्त हो चुके हैं । अत: जन्म व शादी के आधार पर आरक्षित वर्ग में होकर भी उन्हें चुनाव व नौकरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है । केंद्र, प्रदेश सरकार व न्यायालय उनकी समस्या का तार्किक समाधान नहीं कर पाए हैं । हक से वँचित इन महिलाओं ने अब वर्तमान में जारी पंचायती चुनाव के बहिष्कार व राजस्थान चुनाव आयोग द्वारा जारी वोटर कार्ड को वापिस चुनाव आयोग को लौटाने का निर्णय लिया है। ये महिलाएं कल से जिलेवार जिला मुख्यालय पहुंचकर अपना मतदाता कार्ड संबंधित जिले के कलेक्टर की मार्फत वापिस लौटाना शुरू करेंगी।
वेदपाल हरदीप एडवोकेट धानोटी नेविवाहित महिलाओं के साथ प्रवासी पुरुष जैसा व्यवहार नहीं होना चाहिए प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत राजगढ़,चूरू निवासी वेदपाल धानोठी के मुताबिक सिमित समय व उद्देश्य के लिए प्रवासी व्यक्तियों के लिए पारित केंद्र सरकार के सर्कुलर को विवाहित महिलाओं पर लागू करने के प्रयास हो रहें हैं। इससे स्थाई तौर पर मूल निवासी बन चुकी महिलाओं के सामने गंभीर समस्या पैदा हो गयी है। आरक्षण के मामले में ये महिलाएं व्यवहारिक तौर पर न तो मायके में आरक्षण का लाभ ले पा रहीं हैं और न ही ससुराल में । प्रदेश सरकार ईडब्ल्यूएस श्रेणी की महिलाओं की इस समस्या का समाधान निकाल चुकी है तो इन महिलाओं की समस्या को भी समझना होगा।