जबलपुर hellobikaner.in सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रो हरीश नवल ने कहा कि व्यंग्य का उद्देश्य मनोरंजन करना नहीं अपितु जागृत करना है।व्यंग्यकार में सूक्ष्म पर्यवेक्षण करने की क्षमता होनी चाहिए। नवल, व्यंग्यधारा समूह की ऑनलाइन संगोष्ठी के विशेष सत्र में ‘व्यंग्य और व्यंग्यकार को पहचानने के उपकरण’, विषय पर देश के विभिन्न राज्यों के व्यंग्यकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संप्रेषणीय व्यंग्य अनुभूति की पीड़ा से उपजता है।
नवल ने कहा कि व्यंग्य सामाजिक बदलाव के लिए वैचारिक संघर्ष को पल्लवित करे। उन्होंने कहा कि आज व्यंग्य लेखन में गुणवत्ता की जगह गणना हो रही है। व्यंग्य का पाठक विशिष्ट होता है। ऐसे में व्यंग्यकार में बौद्धिक गाम्भीर्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यंग्य को सम्प्रेषणीय बनाने में शिल्प, अच्छी व् चुटीली भाषा की ज़रूरत होती है।
संगोष्ठी में युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि व्यंग्यकार अनूप मणि त्रिपाठी ने कहा कि व्यंग्य दायित्त्व भरा कार्य है, इसलिए व्यंग्य लिखने के लिए एक विशिष्ट दृष्टिकोण की ज़रुरत होती है। व्यंग्यकार में यही दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि व्यंग्य लिखने के लिए जनमानस से जुडाव भी बहुत ही ज़रूरी है। व्यंग्य सताये हुए लोगों को ताकत देने वाला हो। व्यंग्य लिखने से पहले आप में बेचैनी नहीं हो तो लिखना सार्थक नहीं हो सकता।
संगोष्ठी में व्यंग्यकारों ने दोनों प्रमुख वक्ताओं से व्यंग्य-विषय से जुड़े सवाल पूछे, जिनका ज़वाब दिया गया। संगोष्ठी में बीज वक्तव्य देते हुए सुपरिचित व्यंग्यकार रमेश सैनी ने कहा कि आज व्यंग्यकार जीवन और सामाजिक संवेदनाओं से बचकर लिख रहा है। ऐसी स्थिति में ऐसे विमर्श जरुरी हो जाते हैं। गोष्ठी का संचालन आलोचक डॉ रमेश तिवारी ने विषय के केन्द्रीय बिंदु को उजागर करते हुए सफलतापूर्वक किया। तकनीकी निर्देशन व्यंग्यकार अरुण अर्णव खरे का रहा। समूह की ओर से प्रति रविवार व्यंग्य की श्रीवृद्धि से जुड़े विषयों पर गूगल मीट के माध्यम से विशद चर्चाएँ, रचना-विमर्श आदि किए जाते हैं।
संगोष्ठी में संगोष्ठी में व्यंग्यकार स्नेहलता पाठक, अनूप शुक्ल, सुनील जैन रही, शांति लाल जैन, राजशेखर चौबे, डॉ महेंद्र सिंह ठाकुर, सुधीर कुमार चौधरी, कुमार सुरेश, दिलीप तेतरबे, विज्जी श्रीवास्तव, शशि कान्त सिंह शशि, ब्रजेश कानूनगो, संतोष त्रिवेदी, प्रभाशंकर उपाध्याय, विवेक रंजन श्रीवास्तव, मधु आचार्य आशावादी, बुलाकी शर्मा, प्रभात गोस्वामी, अलका अग्रवाल, जयप्रकाश पाण्डेय, प्रमोद कुमार चमोली, राकेश सोहम, रेणुका देवपुरा, मुकेश राठौर, प्रदीप उपाध्याय, अभिजीत दूबे, वीरेंद्र सरल, हनुमान मिश्र, टीकाराम साहू, नवीन जैन आदि कई प्रमुख व्यंग्यकार उपस्थित थे| सभी का आभार व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने ज्ञापित किया।