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बीकानेर hellobikaner.in कोरोना-काल में देश में हुए साहित्य-सृजन पर आधारित ‘कथारंग’ की साहित्य वार्षिकी का लोकार्पण रविवार को धरणीधर रंगमंच पर हुआ। समाजसेवी-भामाशाह रामकिसन आचार्य, वरिष्ठ रंगकर्मी व पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’, कवि-उपन्यासकार अनिरुद्ध उमट और इंग्लिश गुरु किशोरसिंह राजपुरोहित ने कवि-पत्रकार हरीश बी. शर्मा द्वारा संपादित कथारंग का लोकार्पण किया। गायत्री प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस साहित्य वार्षिकी में 22 प्रदेशों से हिंदी साहित्यकारों की रचनाएं शामिल हैं। यह कृति वरिष्ठ रंगकर्मी-शायर आनंद वि. आचार्य को समर्पित है, जिसे उनकी धर्मपत्नी विजयलक्ष्मी आचार्य व अभिषेक आचार्य को भेंट किया गया।

मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने इस अवसर पर कहा आज के इस दौर में पाठकों का जो संकट है, उसके लिए ही ‘जन तक सृजन’ अभियान का अनुष्ठान बीकानेर से शुरू किया गया है। कथारंग के माध्यम से हम लगातार उत्कृष्ट साहित्य को समाज के सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं, इस शृंखला में यह  कथारंग का कारोना विशेषांक अनूठा और अद्वितीय है। उन्होंने कहा है कि  समाज और व्यक्ति में निरंतर घटत-बढ़त जारी रहती है, यही संवेदना है, जिसे साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रकट करता है। हमारा ध्येय है कि लिखे हुए को पढ़ा ही नहीं जाए बल्कि लिखने वालों को भी याद किया जाए। उन्होंने कहा कि इस बार आधे देश के साहित्यकारों की रचनाएं शामिल हैं, अगले वर्ष की साहित्य वार्षिकी में पूरा देश शामिल करने का प्रयास रहेगा।

कवि-उपन्यासकार अनिरुद्ध उमट ने कहा कि कथारंग का यह अनुष्ठान सिर्फ हरीश बी. शर्मा का नहीं बल्कि यह एक ऐसा सपना है, जिसे पूरा करने का दायित्व मेरा भी है। जब तक हरीश का सपना पूरा नहीं होगा, मेरा सपना कैसे पूरा होगा। हम सब एक-दूसरे से पूरे होते हैं। उमट ने कहा कि सृजन सिर्फ स्वयं की पहचान नहीं है बल्कि अपने अस्तित्व की पहचान का जरिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना गया नहीं है बल्कि निकल रहा है, यह हमें काफी कुछ सीखाकर गया है। सबसे बड़ी बात इम्यूनिटी-डवलपमेंट की है। इसे मैं आत्मबल के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि कथारंग ने जिस तरह से सीमाओं को तोड़ते हुए सृजन के हर क्षेत्र को शामिल किया है, उससे अज्ञेय और मुक्तिबोध की दो प्रमुख धाराएं एक होती हुए नजर आती है।

 

इंग्लिश गुरु व व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक किशोरसिंह राजपुरोहित ने इस अवसर पर कहा कि हमारी सामाजिक परंपरा हमें विरासत को न सिर्फ संभालना बल्कि उसका संवद्र्धन करना भी सिखाती है। हरीश बी. शर्मा द्वारा संपादित ‘कथारंगÓ इसी का उदाहरण है। शर्मा ने कहा कि साहित्य, कला और संस्कृति के प्रति समाज को अपना दायित्व समझने की जरूरत है। यह दायित्वबोध ही ‘कथारंग’ जैसे कार्यों का कारण बनेेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी-भामाशाह रामकिसन आचार्य ने कहा कि बीकानेर का वातावरण दूसरे शहरों से हटकर है। यहां आज भी साहित्य, कला, संस्कृति के प्रति अनुराग है, लेकिन मोबाइल-संस्कृति की वजह से लोग पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं, जो ठीक नहीं है। साहित्यकारों को चाहिए कि वे ऐसा लिखे जिसे आज की पीढ़ी रुचि के साथ पढ़े।

लोकार्पित साहित्य वार्षिकी पर पत्र-वाचन करते हुए कवयित्री-कथाकार संजू श्रीमाली ने कहा कि गायत्री प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस साहित्य वार्षिकी में देश के 22 प्रांतों से 192 रचनाकारों की विभिन्न विधाओं में रचनाएं है। कवि-पत्रकार हरीश बी. शर्मा के संपादन में प्रकाशित इस साहित्य वार्षिकी ‘कथारंग’ में देश की नौ प्रमुख साहित्यिक हस्तियों से साक्षात्कार हैं, जिनमें डॉ.अर्जुनदेव चारण, आईदानसिंह भाटी, मधु आचार्य ‘आशावादीÓ, मलिक जादा जावेद, चित्रा मुदगल, प्रितपाल कौर, सुब्रतो मंडल, डॉ.मोहम्मद हुसैन के साक्षात्कार हैं। 67 कहानियां, 63 कविताएं, विभिन्न विषयों पर 12 आलेख, दो नाटक और 15 व्यंग्य के साथ तीन उपन्यास अंश भी इस इस साहित्य वार्षिकी में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह अंक न सिर्फ संग्रहणीय है बल्कि ऐतिहासिक भी है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण मोटीवेशनल गुरु और विचारक डॉ.पी.एस.वोहरा ने देते हुए कहा कि कथारंग सामूहिक प्रयासों का एक ऐसा नतीजा है, जिसमें टीम-भावना झलकती है। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री-कथाकार ऋतु शर्मा ने किया। आभार  अंकशास्त्री  डॉ.कुमार गणेश ने माना। इस अवसर पर कथारंग का आवरण चित्र बनाने वाले कलाकार पेंटर धर्मा सहित श्याम व्यास, किसन व्यास, गौरीशंकर आचार्य, संजय शर्मा, गणेश सुथार, शिवाजी, विकास शर्मा आदि को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रकाशन दीपचंद सांखला, कवि राजेश विद्रोही, निर्मल शर्मा, आरके सुतार, प्रमोद कुमार चमोली, हारुन राठौड़, बाबूलाल जुनेजा, भीष्म कौशिक, बालकृष्ण थरेजा, राजेंद्र जोशी, कमल रंगा, बृजमोहन रामावत, सुभाष स्वामी, इरशाद अजीज, रामसहाय हर्ष, अविनाश जोशी, महिपाल सारस्वत, ऋषि मोहन जोशी, डूंगरसिंह तेहनदेसर, हरिशंकर आचार्य, शेखर आचार्य, राहुल जादुसंगत, सीताराम कच्छावा, अविनाश मोदी, मनोजरतन व्यास, गिरिराज पारीक, कासिम बीकानेरी, कैलाश टाक, राहुल राजस्थानी, जतिन सहल, मुकेश शर्मा, राजा बिश्नोई, धीरेंद्र आचार्य, सुकांत किराडू, अनुराग हर्ष, ज्योतिप्रकाश रंगा, राजेश के. ओझा, राहुल व्यास, अजय जोशी, मुकेश पोपली, डॉ.श्वेत गोस्वामी, अर्चना थानवी, इंदिरा व्यास, सुधा आचार्य, सुधा सारस्वत, चित्रा पारीक, सोनाली सुतार, भूरमल सोनी, शशि शर्मा, इकबाल हुसैन, अशोक प्रजापत, दिनेश शर्मा, व्यास योगेश राजस्थानी, उदय व्यास, केके रंगा, सुनील जोशी, रोहित बोड़ा, गौरीशंकर प्रजापत, अशोक पारीक, सहित अनेक लोगों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम को जूम एप और फेसबुक लाइव के माध्यम से भी लोगों ने देखा और सराहा।

 


कथारंग का समर्पण आनंदजी को, परिजनों को की भेंट : गायत्री प्रकाशन द्वारा प्रकाशित साहित्य वार्षिकी वरिष्ठ रंगकर्मी शायर आनंद वि.आचार्य को समर्पित है। गायत्री शर्मा व हरीश बी. शर्मा ने आनंदजी की धर्मपत्नी श्रीमती विजयलक्ष्मी आचार्य व पुत्र अभिषेक आचार्य को पहली प्रति भेंट की। इसके अलावा कुसुमलता शर्मा, कंचनलता शर्मा, केके शर्मा, प्रवीण कुमार शर्मा व दीपचंद सांखला को भी पहली प्रति भेंट की गई।

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