जयनारायण व्यास के जन्म दिन पर विशेष
अपने लिये जीये तो क्या जीये, जी तू जी जमाने के लिये किसी गीतकार ने ये पंक्तियां जिस किसी के भी लिये लिखी, लेकिन एकदम सटीक लिखी है।
दुनिया में अपने लिये सभी जीते हैं, लेकिन वो लोग बिरले ही होते हैं, जो दूसरों के दुख दर्द, तकलीफ अपने ऊपर लेकर, गरीब, असहाय मजदूर व किसान की सेवा करना अपना धर्म समझते है। एक ऐसे व्यक्ति है, जिन्हें अपना देवता मानता है दलित। किसान उसे मसीहा मानता है, गरीबों, मजदूरों व जुल्म से सताये लोगों के लिये फरिश्ते से कम नहीं है। वो जो हर किसी इंसाफ के जरूरतमंद इंसान के लिये एक तटस्थ सैनिक की तरह खड़ा रहता है, फिर चाहे उसे कितना ही बड़ा प्रलोभन या भय दिया जाये वो अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होता। कुर्बानी शब्द जैसे उसके मुंह में राम की तरह समाया है। छोटे- बड़े सभी उसको मान देने के सामन आदर देने में कोई कमी नहीं रखते, उनका व्यवहार सभी को अपनी और आकर्षित करता है, मुदुभाषी, मिलन सारिता, चेहरे पर जिनके हर वक्त मोहन मुस्कान रहती है, वह सख्स है। प्रदेश के कई जिलों में किसानों की सेवा में निस्वार्थ गैर राजनैतिक संस्था जन किसान पंचायत के संरक्षक जयनारायण व्यास। सफेद बाल, सफेद चांदी से चमकते बाल, सफेद वस्त्र, जिनकी पहचान है। ‘प्रभु‘ नाम से विख्यात है। एडवोकेट जयनारायण व्यास। महाशिवरात्रि को सन् 1951 अभी हनुमानगढ़ जिले के डबलीराठान में कृषक के परिवार में पंडित जुगल किशोर के घर में जन्म हुआ। खेलकूद में अव्वल रहने वाले, शैक्षणिक कार्य में प्रबुद्ध बुद्धि के धनी, जागरूक व्यक्तित्व रखने वाले व्यास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम स्तर पर ग्रहण की, आगे की पढ़ाई के लिये शहर की ओर रूख किया, जैन उच्च माध्यमिक, फोर्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय व डूंगर महाविद्यालय से एल.एल.बी. पास की व वकालत का पेशा अपनाया, छात्र जीवन में विभिन्न राजनैतिक दलों के छात्र व युवा संगठनों के साथ काम किया व 1972 के बहुसंकाय विश्व विद्यालय आंदोलन के संभाग के 10 लाख विद्यार्थियों का संयोजक चुनकर आंदोलन का नेतृत्व किया जो 90 दिन चला, तथा तत्कालिक बरकतुल्ला खां की कांग्रेस सरकार को झुकाकर मांग को मनवाया, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण कृषि विश्वविद्यालय व गंगासिंह विश्वविद्यालय है।
एक कुशल धावक और एथलीट व्यास ने अपने शारीरिक शौष्ठव करतबो अपने जनभावना सहयोग में ढ़ालना भी कुशल राजनेताओं से वरेण्य यथा यह छात्र कप्तान लोगों के हक हकूक प्राप्त करने का कप्तान बन गया। राजनीति की शुरूआत छात्र जीवन के शुरूआत करने वाला स्व. चौधरी चरण सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, पूर्व उप प्रधानमंत्री नाथुराम मिरधा, पूर्व कंेद्रीय मंत्री कल्याण सिंह कालवी, पूर्व केन्द्रीय मंत्र चौधरी कुम्भारा, स्व. हेमवती नन्दन बहुगुणा, पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरो सिंह शेखावत के साथ किसानों, दलितों के अगुवा के रूप में संघर्ष किया, वसुंधरा की परिवर्तन यात्रा से अब तक किसानों के हक के लिये सरकार को जाग्रत करता हुवा गरीबों को हक हकुक दिलाने को आतुर आये दिन जिला मुख्यालय पर जनता का सैलाब लिये पड़ाव डालता हुवा ‘‘भारत माता की जय‘‘ के नारों के साथ हरवक्त नजर आता है।
पिछले 41 वर्षों से सगे भाई, ससुराल तक का अन्न, जल ग्रहण नहीं करने वाला आध्यात्मिक व भविष्य ज्ञान का दानदाता, कृष काय, जुझारू शरीर का व्यक्तित्व दिन भर कुछ खाये पीये बिना अपने चहेते किसानों को देखते ही अपनी पीले रंग की मोटर के साथ बिठाकर उनको राहत दिलाने सरकारी कार्यालयों के चल पड़ता है, यह दिनचर्या जीवन का भाग बन चुकी है।
ऐसे व्यक्ति को जन्मदिन पर अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घ आयु की कामना ।