हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com, बीकानेर। हिन्दू सनातन धर्म में अनेकों ऐसे उपवास है जिनको महिलाएं अलग-अलग तरीकों से रखती है ये उपवास बेहद ही कठिन होते है। ऐसे उपवासों को स्त्री की कठोर तपस्या भी कहा जा सकता है। इस तरह की कठोर तपस्या करने की शक्ति भगवान ने या तो धरती को दी है या फिर ये स्त्री को दी है। एक ऐसा ही उपवास या व्रत है तुलसी तेला का जिसे महिलाएं और कन्यायें मंगलमय जीवन की कामना को लेकर करती है।
बीकानेर के पुष्करणा समाज समाज में जन्मी पुष्पा देवी ओझा पत्नी स्व. श्री रतन ओझा निवासी रत्तानी व्यासों का चौक ने अपने जीवन के 78वें साल में 49वां तुलसी तेला व्रत रखा है। इनके परिवार के सदस्य शंकर छंगाणी ने हैलो बीकानेर को बताया की इन्होने तुलसी तेला व्रत के साथ-साथ तीन बार पंचभिखा व्रत भी कर रखा है। आपको बता दें पंचभिखा व्रत पांच दिन का होता है और तुलसी तेला व्रत तीन दिनों तक चलता है।
आंवला नवमी को अनेक महिलाओं व कन्याओं द्वारा मंगलमय जीवन की कामना को लेकर तुलसी तेला का व्रत शुरू किया जाता है। वैसे तो यह व्रत काफी कठिन माना जाता है। लेकिन महिलाएं और कन्याएं व्रत को लेकर काफी उत्साही रहती है और कई वर्षों तक इस व्रत को करती है।
तुलिस तेला व्रत से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें
- इस व्रत के दौरान महिलाएं व कन्याएं नंगे पैर रहती और तीन दिनों तक चप्पन नहीं पहनती।
- व्रत के दूसरे दिन दीपक प्रज्वलित किया जाता है लोग उसके दर्शन करने आते है।
- तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत के दौरान व्रत करने वाली महिलाएं व कन्याएं भोजन नहीं करती।
- इस व्रत में अधिकतर महिलाएं व कन्याएं पानी तक का सेवन नहीं करती लेकिन व्रत के दौरान अगर विकट परिस्थितियों बन जाए तो सिर्फ एक बूंद पानी दिया जाता है।
- व्रत के दौरान अगर उल्टी हो जाती है तो आपका व्रत अधुरा रह जाता है फिर व्रत आगे नहीं किया जाता।
- चौथे दिन व्रत का पारणा किया जाता है फिर व्रत करने वाले सबसे पहले काढ़ा पिलाया जाता है उसके बाद चावल खिलाया जाता है।
यह व्रत लड़कियां अपने सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए व महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए करती है। पुष्पा देवी जैसी बीकानेर शहर में अनेक महिलाएं है जो अपने जीवन में अनेक कठिन से कठिन व्रत या उपवास रखती है।