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हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com, बीकानेर। राजस्थान की राजनीति में स्व. मानिक चंद सुराणा का नाम अमर है क्युकी स्व. सुराणा जिस विधानसभा से चुनाव लड़ते थे उस जगह उनका जातिगत आधार नहीं था। लूणकरनसर की जनता का उन पर अटूट विश्वास था।

आज  स्व. सुराणा को दुनिया से गए चार साल हो गए उनके नजदीकी रहे बंशीधर व्यास उर्फ़ लाल जी बताते है की स्व. सुराणा वैश्य थे लेकिन लूणकरनसर में वैश्य के बहुत कम वोट है। वहां जाट समाज का बाहुल्य होने के बाद भी वो चुनाव जीतकर आते थे। स्व. सुराणा की विशेषता थी कि वो सीधे जनता के सम्पर्क में रहते थे। हर गांव के लोगों को जानते थे। उनके दुख-दर्द में शामिल होते थे।

उनसे एक ओर नजदीकी रहे विनोद व्यास बताते है की 90 साल के मानिक चंद सुराना का जन्म 31 मार्च 1931 को हुआ था। छात्र जीवन से ही राजनीति करने वाले स्व. सुराणा ने डूंगर कालेज के अध्यक्ष पद पर चुनाव जीतकर अपनी राजनीति शुरू की थी।

स्व. सुराणा राजस्थान के वित्त मंत्री और वित्त आयोग के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1962 में श्रीकोलायत से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की ओर से विधायक बने। जनता पार्टी से साल 1977 में लूणकरनसर से विधायक बने, इसके बाद 1985 में विधायक रहे। स्व. सुराणा ने इसके बाद मूल जनता दल को छोड़ते हुए जनता दल प्रगतिशील का गठन किया। बाद में इस पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया गया।

व्यास ने बताया की आज उनकी चतुर्थ पूण्यतिथि पर शिव प्लाजा, शिव मार्केट व समस्त दडिया महाराज परिवार ने गोचर भूमि में श्रद्धांजलि देते हुए गोवंश को हरी घास व गुड खिलाया इस दौरान बंशीधर व्यास उर्फ़ लाल जी, विमला व्यास, विनोद व्यास, अनीता देवी व्यास, हर्षवर्धन, यशवर्धन, सुनीता देवी पुरोहित, सुनील पुरोहित, नमन, युवान, गिरिराज हर्ष, रेखा देवी हर्ष व टीना मौजूद रही।

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