हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com, बीकानेर। राजस्थान में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) के कुलपति डॉ मनोज दीक्षित ने कहा है कि बीकानेर उच्च गुणवत्ता की ऊन उत्पादन को लेकर विश्व विख्यात था, लेकिन पिछले पांच वर्षों में चारे की गुणवत्ता खराब होने से ऊन की गुणवत्ता भी खराब हुई है। डा़ दीक्षित सोमवार को यहां स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित वैज्ञानिक तरीके से भेड़ एवं बकरी पालन के लिये आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यहां की ऊन थोड़ी सख्त हो गई है। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना ऊन उत्पादन में हमसे बहुत आगे निकल गए हैं। चारा अब नैसर्गिक नहीं रहा। हमें चारे की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। उन्होंने कहा कि जीने की गुणवत्ता अगर सुधारनी है तो हमें खाने की गुणवत्ता में सुधार करना होगा।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि चारे की गुणवत्ता में सुधार को लेकर राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (राजुवास) और स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (एसकेआरएयू) मिलकर कार्य करेंगे। जल्द ही दोनों विश्वविद्यालयों के बीच इसको लेकर करार किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 70 वर्षीय महिला के हिस्सा लेने को लेकर कुलपति ने कहा कि यह कृषि विश्वविद्यालय के प्रति लोगों का विश्वास ही है कि 70 वर्षीय महिला भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंची और सात दिन तक प्रशिक्षण लिया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कहा कि वे उद्यमी बनें।
कार्यक्रम के आयोजक एवं पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष और छात्र कल्याण निदेशक डॉ निर्मल सिंह दहिया ने बताया कि यह प्रशिक्षण कृषि महाविद्यालय बीकानेर के पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। फरवरी के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में एक और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।