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सोमवार रात को व्हाइट हाउस में आयोजित रात्रिभोज से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पत्रकारों को संबोधित करेंगे. पहले निर्धारित किए गए कार्यक्रम में बताया गया था कि दोनों में से कोई भी नेता किसी पत्रकार के किसी भी सवाल का जवाब नहीं देंगे, लेकिन इसमें बदलाव करते हुए अमेरिका और भारत ने अब तय किया है कि उनकी बैठक को लेकर संयुक्त बयान जारी किया जाएगा, और दोनों नेता पहले से निर्धारित एक-एक सवाल का जवाब देंगे.

भारतीय समयानुसार रात 1:20 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 20 मिनट की बातचीत होगी, जिसमें सिर्फ दोनों नेता ही शामिल रहेंगे. इसके बाद शिष्टमंडल-स्तरीय बातचीत शुरू होगी, जिसमें दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे, और उसके बाद प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की जाएगी. इसके साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री पहले ऐसे विदेशी नेता बन जाएंगे, जिनके लिए ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में व्हाइट हाउस में रात्रिभोज का आयोजन किया गया.

भारतीय अधिकारी दोनों नेताओं की आमने-सामने होने वाली इस मुलाकात से बहुत ज़्यादा उम्मीदें बांधना नहीं चाहते हैं, और उनका कहना है कि यह मुलाकात निजी मेल-जोल बढ़ाने और दोस्ताना रिश्ता कायम करने पर केंद्रित होगी, क्योंकि जलवायु तथा आव्रजन सहित बहुत-से मुद्दों पर इन दोनों नेताओं के विचार एक दूसरे से बिल्कुल उलट हैं.

वैसे, शुरुआती संकेत काफी उम्मीद-अफजाह थे, जब डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सच्चा मित्र’ बताया था, और प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह डोनाल्ड ट्रंप से होने वाली मुलाकात को लेकर ‘बेहद उत्साहित’ हैं.

कुछ लोगों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच एक अनूठी साम्यता है, क्योंकि दोनों ही नेताओं ने राष्ट्रवादी दृष्टिकोण दिखाकर परंपरागत रूप से सत्ता में बैठे लोगों को पराजित किया है. मीडिया से भी दोनों के ही रिश्ते कुछ खास अच्छे नहीं रहे हैं, और दोनों ही सोशल मीडिया के ज़रिये जनता तक सीधी पहुंच बनाने में विश्वास रखते हैं.

भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद पीएम मोदी की यह पांचवीं अमेरिका यात्रा है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से उनके आत्मीय संबंधों के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 की गणतंत्र दिवस परेड में ओबामा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित भी किया गया था.

उधर, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बन जाने के बाद अपनी ‘अमेरिका-फर्स्ट’ नीति के तहत उन्होंने एच-1बी वीसा कार्यक्रम में भारी बदलाव की घोषणा की. भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियां तकनीकी विशेषज्ञों को अमेरिका भेजने के लिए इसी कार्यक्रम का इस्तेमाल करती हैं.

इसके बाद इसी महीने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने की घोषणा करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर समझौते का फायदा उठाने की कोशिश करने का आरोप लगाया, जिसके जवाब में भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने कड़ा ऐतराज़ दर्ज कराया.

लेकिन अब सूत्रों के अनुसार, संयुक्त बयान में अमेरिका द्वारा भारत को लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर कीमत पर प्रीडेटर नौसैनिक ड्रोन बेचे जाने की घोषणा की जा सकती है.

यूरेशिया ग्रुप के शैलेश कुमार का कहना है कि इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य कतई स्पष्ट और सीधा है – सुनिश्चित किया जाए कि भारत लगातार अमेरिका की योजनाओं में बना रहे, तथा अमेरिका का नया प्रशासन भी भारत को लेकर पिछली नीति पर ही आगे बढ़ता रहे.

साभार : एंडीटीवी इंडिया

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