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चार साल से बिछुड़ा मूक-बधिर चेतन मिला परिवार से
जयपुर । आधार कार्ड कितना चमत्कारिक असर दिखा सकता है, यह जानना हो तो राजसमन्द जिले के एक मूक-बधिर बालक की कहानी अपने आप में ऎसा ज्वलन्त प्रमाण है कि जो इसे सुनता है वह आश्चर्य में डूबे बिना नहीं रह सकता। केवल और केवल आधार की बदौलत चार साल से परिजनों से बिछड़ चुका यह बालक अपने माता-पिता और परिजनों से मिलने में कामयाब हुआ।
यह रोचक कहानी है राजसमन्द जिले के नाथद्वारा उपखण्ड अन्तर्गत खमनोर तहसील के छोटे से गांव सालोदा के एक परिवार की।  इस गांव का 12 वर्षीय चेतन सेन अपने पिता की उदयपुर में स्थित नाई की दुकान पर गया हुआ था और वहीं सूरजपोल के आस-पास घूमता हुआ 30 दिसम्बर 2013 को अचानक कहीं गायब हो गया। तभी से उसके माता-पिता आशा व हीरालाल सेन और परिजन उसे तलाशते रहे। पर उसका कहीं कोई पता नहीं लगा।
घर वालों को नहीं हुआ विश्वास
इस बीच अचानक राजसमन्द की बाल कल्याण समिति के पास यह सूचना आयी कि राजसमन्द का एक मूक-बधिर बच्चा महाराष्ट्र के धुले जिले में बाल निराश्रित गृह में है। इसकी सूचना मिलते ही बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा श्रीमती भावना पालीवाल ने विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव श्री नरेन्द्रकुमार एवं बाल कल्याण समिति के सदस्यों सर्वश्री गजेन्द्रसिंह चुण्डावत, परसराम वैष्णव और राजेश दवे आदि के साथ इसकी चर्चा की और इसके परिजनों की तलाश की गई। सालोदा गांव में जैसे ही माता-पिता और परिजनों को यह खबर मिली, खुशी के मारे फूले नहीं समाये।
चेतन का पता लगने की कहानी भी बेहद रोचक है।  धुले के बाल निराश्रित गृह में रह रहे चेतन का यों तो मूक-बधिर होने की वजह से जिन्दगी में कभी पता नहीं चल पाता किन्तु निराश्रित बाल गृह के सहायक कर्मचारी उसका आधार कार्ड बनवाने के लिए ले गए जहाँ उसकी अंगुलियों व आँखों की छाप  तथा डेटा से यह पता चला कि उसका पहले से ही आधार कार्ड बना हुआ है।
इसकी तलाश की गई तब पता चला कि यह राजसमन्द जिले के सालोदा गांव का रहने वाला है। इसी आधार पर मूक-बधिर चेतन की पूरी जानकारी धुले की बाल कल्याण समिति ने पखवाडे भर पहले ही राजसमन्द की बाल कल्याण समिति को दी। समिति ने चेतन के माता-पिता को धुले (महाराष्ट्र) भेजा जहाँ अर्से बाद पुत्र से मिलकर माता-पिता फूले न समाये। बेटे को लेकर माता-पिता के साथ बाल कल्याण समिति धुले के प्रतिनिधि सोमवार को ही राजसमन्द आए।
राजसमन्द जिला कलक्टर चैम्बर में सोमवार अपराह्न चेतन को लेकर बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी, माता-पिता और परिजन आए और खुशी जाहिर की। इस मौके पर जिला कलक्टर श्री पीसी बेरवाल, विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव श्री नरेन्द्रकुमार, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष श्रीमती भावना पालीवाल, सदस्य सर्वश्री गजेन्द्रसिंह चुण्डावत, परसराम वैष्णव और राजेश दवे, आसर विकास संस्थान उदयपुर के भोजराजसिंह पदमपुरा आदि उपस्थित थे।
जिला कलक्टर, पूर्णकालिक सचिव एवं भावना पालीवाल ने चेतन ओर उसके माता-पिता को मिठाई खिलाकर मुँह मीठा किया और खुशी का इजहार किया।
आधार न होता तो …
जिला कलक्टर ने पूरी कहानी सुनी और आश्चर्य व्यक्त किया तथा कहा कि आधार न होता तो यह बच्चा जिन्दगी भर अकेला ही रहने को विवश रहता और माँ-बाप से कभी नहीं मिल पाता। माँ-बाप भी जिन्दगी भर इसकी चिन्ता में खोये रहते।
अपना आधार कार्ड जरूर बनवाएं
जिला कलक्टर ने चेतन के माता-पिता से कहा कि वे उसे मूक-बधिर विद्यालय में भेजकर आगे पढ़ाएं। इस दौरान बताया गया कि आसरा विकास संस्थान के माध्यम से इसका भविष्य सँवारा जाएगा।
जिला कलक्टर ने इस घटना से सीख लेते हुए सभी का आह्वान किया कि वे आधार कार्ड बनवाने में रुचि लें और सहयोग करें। आधार अपने लिए भी इसी तरह का चमत्कारिक प्रभाव रखता है। चेतन की जिन्दगी में आया मोड़ आधार के कारण से ही है।
नंगे पाँव चलने का प्रण
चेतन के अचानक गायब हो जाने के बाद से उसके पिता श्री हीरालाल सेन ने सौगंध खा ली कि जब तक चेतन का पता नहीं लगेगा, वे पाँव में जूते-चप्पल कुछ भी नहीं पहनेंगे, नंगे पाँव ही रहेंंेगे।  उन्होंने गांव के भैरूजी मन्दिर में भगवान भैरवनाथ से प्रार्थना करते हुए यह बाधा ली थी। श्री हीरालाल सेन ने बताया कि अब वह भैरूजी के मन्दिर मेंं पहुंचकर चप्पल पहनेगा।

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