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जोधपुर। माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संगीत लोढा ने चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग में नर्स ग्रेड प्रथम के पद पर कार्यरत प्रार्थी जगदीश चन्द्र बोहरा के निलम्बन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किये।  चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अनादरा जिला सिरोही में नर्स ग्रेड प्रथम के पद पर कार्यरत  जगदीशचन्द्र बोहरा की पदोन्नती अतिरिक्त निदेशक प्रशासनद्ध द्वारा वर्ष 2015 की गयी एंव उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अनादरा में पदस्थापित किया गया था।    दिनांक 7.7.2017 को मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी सिरोही द्वारा एक पत्र अतिरिक्त निदेशक प्रशासनद्ध  चिकित्सा एंव स्वास्थ्य लिखा गया एंव इस पत्र के द्वारा प्रार्थी को तुरन्त प्रभाव से निलम्बित करने की अनुशंसा की गयी । इस पत्र में मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी सिरोही ने यह भी अंकित किया कि जिलाधीश महोदय के आकस्मिक निरीक्षण के समय जगदीशचन्द्र बोहरा द्वारा गणवेश में नही होने तथा उनके द्वारा अशोभनीय आचरण की जानकारी भी प्राप्त हुई । इस पत्र के अनुसरण में  अतिरिक्त निदेशक महोदय द्वारा प्रार्थी को तुरन्त प्रभाव से राजस्थान असैनिक सेवाये वर्गीकरण नियंत्रण एंव अपील नियम 1958 के नियम 13;1द्ध में उल्लेखित प्रावधानो का प्रयोग करते हुए प्रार्थी को तुरन्त प्रभाव से राज्य सेवा से दिनांक 24.7.2017 को निलम्बित कर दिया गया ।   विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने एक रिट याचिका माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से इस आशय की प्रस्तुत की, कि प्रार्थी का जो निलम्बन आदेश पारित किया गया है वह निलम्बन आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा अपने स्वविवेक का उपयोग करते हुए पारित नही किया गया है बल्कि केवल मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी के पत्र के संदर्भ में किया गया है जो कि विधि विरूद्व है क्योकि मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी प्रार्थी का सक्षम अधिकारी नही है ।  साथ ही यह भी तर्क दिया कि राजस्थान असैनिक सेवाये के नियम 13 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि निलम्बन आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा एंव अपने स्वविवेक का उपयोग करते हुए पारित किया जाना चाहिये ।   प्रार्थी अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रार्थी की रिट याचिका में राज्य सरकार को दो सप्ताह में वापसी के नोटिस जारी करते हुए प्रार्थी के निलम्बन आदेश पर अंतरिम रोक लगाई।

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