बीकानेर (hellobikaner.in) राजेश ओझा। कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में तबाही मचा रखी है। इस वायरस को पूरी तरह से खत्म करने की वैक्सीन अभी तक कोई भी देश बना नहीं पाया है। भारत में वैक्सीनेशन जोरों से चल रहा है लेकिन जिनको वैक्सीन लग चुकी है वो भी संक्रमित हो रहे है। अस्पतालों में मरीज तड़प-तड़प कर मर रहे है और डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पा रहे है। इस महामारी से बचने के लिए एक तरीका था लॉकडाउन, लेकिन उससे संक्रमण तो कम हुआ लेकिन इससे जो दुसरी समस्याएं उत्पन्न हुई वो और ज्यादा तकलीफ देने वाली थी।
देश की सरकार ने राज्य सरकारों पर छोड़ दिया कि जो उचित लगे वो कदम उठाए, लेकिन लॉकडाउन को अंतिम हथियार के रूप में काम में ले। राज्य सरकारों ने पहले नाइट कर्फ्यू लगाया, फिर सप्ताह भर का लॉकडाउन लगाया लेकिन इस बार तो वो भी बेअसर साबित हो रहा है। उपर से अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी बड़ी समस्या बनकर राज्य सरकारों के सामने उत्पन्न हो गई है।
राजस्थान में भी जन अनुशासन पखवाड़ा के तहत सख्ती बढ़ाई, गाइडलाइन जारी की लेकिन संक्रमण नहीं रूका। राजस्थान में प्रतिदिन १७ हजार से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ रहे है और १५० से अधिक लोगों की मौत हो रही है। अगर गाइडलाइन, कर्फ्यू, सख्ती, जुर्माना व दुकानें सीज की कार्यवाही हो रही है तो फिर संक्रमण क्यों नहीं रूक रहा ? इससे साफ है ये सब बेअसर साबित हो रहा है।
प्रशासन लगातार बिना मास्क वालों के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है, दुकानें सीज हो रही है, शादियों में भी गाइडलाइन की पालना न होने पर जुर्माना वसूला जा रहा है। लेकिन सब बेअसर, क्योकि संक्रमण तो रूक ही नहीं रहा। भीड़ कहा हो रही है और संक्रमण कैसे फैल रहा है यह प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
बीकानेर में अप्रैल माह में अब तक लगभग १३ हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीज रिपोर्ट हो चुके है और १०० से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। लगभग ८ हजार से ज्यादा मरीजों को हॉम आइसोलेशन में रखा हुआ है और ८०० से ज्यादा मरीजों को पीबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया हुआ है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रशासन काम कर रहा है लेकिन संक्रमण रूकने का नाम नहीं ले रहा।
अब आगे क्या ?
इतनी सख्ती के बावजूद संक्रमण नहीं रूक रहा है तो अब सरकार आगे क्या करेगी? अगर पूर्ण लॉकडाउन लगाया जाता है तो लोगों का बेरोजगारी से बूरा हाल हो जाएगा। गरीबों को खाने के लाले पड़ जाएंगे, कोरोना के साथ जनता को भूख से भी लडऩा पड़ेगा, मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा। लेकिन जीवन बचाने के लिए लॉकडाउन के अलावा कोई विकल्प सामने दिखाई नहीं दे रहा। संकट की इस घड़ी में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार एक दुसरे पर आरोप लगाने की बजाएं मिलकर काम करे तो शायद इस महामारी को हराया जा सकता है।