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बीकानेर (हैलो बीकानेर न्यूज़) । डाॅ.करणी सिंह स्टेडियम में रविवार को लोकदेवता जसनाथजी महाराज की स्तुति के अग्नि नृत्य तथा नायाब आतिशबाजी के साथ 26 वां अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव संपन्न हुआ। उत्सव के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया तथा राजस्थान के विभिन्न अंचलों से आए लोक कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियों से देशी-विदेशी पर्यटकों का मन मोह लिया। पर्यटकों ने ऊंट की सवारी का भी लुत्फ लिया तथा सजे संवेरे, बेहतरीन फर कटिंग वाले ऊंटों, रोबीलों के साथ सेल्फी लेकर उत्सव को यादगार रूप में अपने मोबाइल में संचित किया। फोटो : राजेश छंगाणी
मोहम्मद इकबाल सांप का प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित उत्सव के दूसरे दिन विभिन्न प्रतियोगिताएं हुई, प्रतियोगिताओं में देशी-विदेशी पर्यटकों ने उत्साह व उमंग से हिस्सा लेकर खूब आनंद लिया। स्टेट बैंक के सहायक प्रबंधक हरीश राजपाल, अम्बेडकर शाखा के मुख्य प्रबंधक पुरुषोतम पलोड़, पर्यटन विभाग के उप निदेशक विकास पण्ड्या, पर्यटन अधिकारी तरुणा शेखावत आदि ने विजेताओं के साथ सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय के सहायक प्रशासनिक अधिकारी शिव कुमार सोनी, मिस मरवण 2015 डिम्पल खींची,खेमसा पुरोहित, और पुलिस अधिकारियों, न्यास कर्मचारियों  सहित उत्सव में परोक्ष-अपरोक्ष रूप से भागीदारी निभाने वालों को स्मृति चिन्ह से पुरस्कृृत किया।
विभिन्न प्रतियोगिताएं-ऊंट उत्सव के दूसरे दिन हुई मटका दौड़ प्रतियोगिता में तरन्नुम बानों, निशि गोयल व मैमा चैधरी, म्यूजिकल चेयर में श्रद्धा पांडे, सुनीता स्वामी व ललिता कुमारी ने प्रथम, द्वितीय व तृृतीय पुरस्कार हासिल किया। साफा बांधने की स्पद्र्धा में फ्रांस की सोनिया ने प्रथम, इलेमिनी द्वितीय व फलैक्स तृतीय रही। रस्सा कस्सी महिला वर्ग में विदेशी महिलाओं ने तथा पुरुष वर्ग में भारतीय युवाओं ने बाजी जीती। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए कबड्डी का भी प्रदर्शन किया गया।
अग्नि नृृत्य-मालासर के महंत रघुनाथजी के नेतृत्व में 4 क्विंटल लकड़ी के अंगारों पर लोकदेवता जसनाथजी महाराज की स्तुति व वंदना के बाद अग्नि नृत्य किया गया। अग्निनृृत्य के दौरान नर्तकों द्वारा अंगारों से अठखेलियां करने पर दर्शकों ने दांतों तले अंगूली दबाली। जसनाथजी के ध्वज स्थापना, आरती तथा ’’ सत गुरु सिंवरों मोवणा, जिण संसार उपायो’’ आदि शब्दों के गायन, नगाड़े की थाप के साथ शुरू हुआ अग्नि नृृत्य चैथे शब्द ’’नाचनिया’’ से परवान पर आ गया। जलते अंगारों पर जगदीश नाथ, भागीनाथ, भंवर नाथ, सुगननाथ ने नृत्य किया। वहीं शब्दों का गायन मानाराम, तुलसीराम, किशनाथ कर रहे थे।
सांस्कृतिक संध्या-राजस्थानी लोकगीत व नृत्यों की सांस्कृतिक संध्या में फलौदी के सरादीन लंगा व पार्टी ने ’’दमादम मस्त कलंदर’’ की, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृृतिक केन्द्र, उदयपुर के कलारों ने गुजरात की सिद्धि धमाल, भरतपुर के कलाकारों ने मयूर नृृत्य, जोधपुर के कलाकारों ने कालबेलिया, बीकानेर के शशि कुमार सिंह व पार्टी ने कच्छीघोड़ी, नंद लाल प्रजापत व पार्टी ने भवई व चरखुला नृत्य और अलवर के कलाकारों ने भंपग वादन कर सराहना ली।
ऊंट श्रृृगार का प्रदर्शन-पुष्कर से आए अशोक टाॅक एक छोटा कपड़े का 16 श्रृंगार से श्रृंगारित ऊंट हाथ में लिए हुए लोगों का आकर्षण का केन्द्र बने थे। ऊंट श्रृंगारक व संस्कृृति प्रचारक टाक ने जूनागढ़ के सामने उत्सव के दौरान पुरातत्व महत्व की वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई जिसमें दूल्हन को दहेज में प्राचीन समय में दी जाने वाली सामग्री, ऊंटों के गहने आदि शामिल थे। पर्यटन विभाग की ओर से टाॅक का स्मृृति चिन्ह से सम्मान किया गया।
कैमल बैंक- स्टेट बैंक की ओर से उत्सव के दूसरे दिन डाॅ.करणी सिंह स्टेडियम में कैमल बैंक का संचालन किया गया। बैंक के मुद्रा विनिमय काउंटर पर यूरोपीय देश, अमेरिका व ब्रिटेन की मुद्राओं का दो लाख लाख 20 हजार का शनिवार को विनिमय किया गया। बैंक के सहायक महाप्रबंधक हरीश राजपाल, मुख्य शाखा प्रबंधक पुरुषोतम पलोड़, इन्द्र जीत धवल, पथ प्रदर्शक सुनील नागल, अनिल चैधरी, नवीन परिहार व ओमपाल सिंह व संजय ने विदेशी मुद्रा विनिमय काउंटर में सेवाएं दी। बैंक की ओर से अस्थाई एटीएम वाहन भी स्थापित किया गया।
प्रदर्शनी व बच्चों के झूले-डाॅ.करणी सिंह स्टेडियम में उत्सव के दोनों दिन राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र व अश्व अनुसंधान केन्द्र की ओर से ऊंट व घोड़ों की नस्ल सुधार, उनके संरक्षण व संवर्द्ध के लिए किए जा रहे कार्यों की एक स्टॅाल में प्रदर्शनी लगाई गई। वहीं ऊंटनी के दूध के व्यंजनों, ऊंट की फर की चट्टाई, खाल के बैंग आदि का प्रदर्शन किया गया। बच्चों के लिए मिकी माउंस व झूले नन्हों के लिए आकर्षण का केन्द्र थे।
पक्षी उत्सव आज- वन विभाग के वन्य जीव प्रतिपालक कार्यालय की ओर से सोमवार को सुबह दस बजे जोड़बीड़ में पक्षी उत्सव का आयोजन किया जाएगा। वन्य जीव प्रतिपालक जयदीप सिंह राठौड़ ने बताया कि लुप्त हो रहे गीद व अन्य पक्षियों की दिनचर्या, गतिविधियां व भोजन प्राप्त करने, रहने के तौर तरीकों से देशी विदेशी पर्यटकों को अवगत करवाया जाएगा।

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