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बीकानेर hellobikaner.in वरिष्ठ कवि-आलोचक व दूरदर्शन के निदेशक डॉ.नंद भारद्वाज ने कहा है कि यह निर्णय लेखक पर ही छोड़ देना चाहिए कि वह क्या लिखे और लिखने के लिए कौनसी फार्म का चयन करे। इस बात पर भी विचार करने का कोई तुक नहीं है कि कौन कम या ज्यादा लिख रहा है।

 

वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ की जन्मतिथि पर आयोजित कार्यक्रम ‘बृहत् आभासी संवाद’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारद्वाज ने यह कहा। उन्होंने कहा कि मधु आचार्य को उन्होंने लगातार आगे बढ़ते हुए देखा है। मधु उनके परिवार का ही एक हिस्सा है, जो लगातार रंग-गतिविधियों में सक्रिय रहे। अगर वे थोड़ा पहले सक्रिय हो जाते तो आज नजारा ही दूसरा होता। उन्होंने कहा कि उत्तर-जीवन काफी महत्वपूर्ण होता है, मधु को चाहिए कि वह आत्मविश्लेषण करते हुए आगे बढ़े और हौसले को बनाए रखे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय प्रवत्र्तन करते हुए दिल्ली के वरिष्ठ व्यंग्यकार रमेश तिवारी ने कहा कि एक लेखक, नाटककार और संपादक होते हुए मधु आचार्य ने कई आदर्श प्रस्तुत किये हैं। आचार्य के व्यक्तित्व व कृत्तित्व की जानकारी साझाा करते हुए उन्होंने कहा कि मधुजी के जन-सरोकार भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। सतत लेखन के साथ संयम और सादगी का जो चरित्र मधुजी में है, वह प्रेरित करता है। तिवारी ने मधु आचार्य से उनके जीवन, सृजन और सरोकारों से जुड़े विषयों पर संवाद भी किया।

इस अवसर पर मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने अपने से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनके लिये साहित्य पार्ट-टाइन जॉब नहीं है। इसकी भी निरंतरता दूसरे किसी भी कार्य की तरह मानता हूं। इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या कहता है, मुझे यह पता है कि समाज में जब तक विसंगति है, शोषण और राजनीतिक व्यभिचार है, मुझे लिखते रहना है। उन्होंने कहा कि समाज के सच के साथ खड़े होने की ताकत उन्हें परिवार से मिली है तो  मित्रों से उन्हें कभी भी हार नहीं मानने का हौसला मिलता है। विसंगति को नियति मानने वाला हार जाता है, मैं अपने लिये चुनौती रचता हूं और फिर लड़ता हूं।

इस पर देश के विभिन्न हिस्सों से साहित्यकारों ने इस ‘बृहत् साहित्य संवाद’ कार्यक्रम में हिस्सेदारी की। वरिष्ठ साहित्यकार रमेश सैनी, प्रभाशंकर उपाध्याय, राजशेखर चौबे, अनूप शुक्ल, प्रितपाल कौर, मंगत बादल, बुलाकी शर्मा, सूर्यदीप कुशवाह, राजेंद्र जोशी, आर.के.सुतार, अनुराग हर्ष, प्रमोद चमोली, श्याम जांगिड़, मनीषा आर्य सोनी, ऋतु शर्मा, रीना मेनारिया, अनिता कौशिक, मायासिंह, भंवर पुरोहित, रामसहाय हर्ष, निकिता त्रिवेदी, ओम नागर, मायासिंह, जितेंद्र निर्मोही, दुलाराम सहारण, गोपाल आचार्य, आशीष पुरोहित, विकास शर्मा, पत्रकार राजेश के. ओझा आदि ने भागीदारी की। इस अवसर पर आचार्य का अभिनंदन किया गया। आभार कवि-पत्रकार हरीश बी.शर्मा ने माना।

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