बीकानेर hellobikaner.in सेंट्रल कौंसिल फ़ॉर इंडियन मेडिसिन CCIM ने आयुर्वेद में पी जी चिकित्सकों को मोतियाबिंद, कान, नाक और गला सहित विभिन्न प्रकार की शल्य प्रक्रियाओं की अनुमति जारी की है जिसका मेडिकल विज्ञान से संबंधित चिकित्सकों ने विरोध किया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवम राज्य सेवारत चिकित्सक संगठन (अरिसदा) एवम विभिन्न चिकित्सक संगठनों ने एक ऑनलाइन बैठक इस संबंध में आयोजित की बैठक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य डॉ फरियाद मोहम्मद ने केंद्र सरकार के इन आदेशों को मिक्सोपेथी की तरफ एक कदम बताया बिना सर्जरी के स्नातक के और बिना किसी आयर्वेदिक पद्धति के जटिलतम शल्य चिकित्सा की अनुमति न केवल अनुचित है बल्कि जानलेवा भी हो सकती है।
आई एम ए की केंद्रीय कार्यसमिति ने इसको गंभीरता से लिया है और हर स्तर पर इसके विरोध का निर्णय लिया गया आगामी 8 दिसंबर मंगलवार को एक विरोध प्रदर्शन पूरे देश मे सभी शाखाओं द्वारा 2 घंटे तक किया जाएगा एवम जनता को भी इन आदेशों के बारे में व इनके दुष्परिणामों की जानकारी दी जाएगी और अगर सरकार आदेशों को वापिस नही लेगी तो 11 दिसंबर को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक कोविड और आपातकालीन कार्यों को छोड़कर शेष सभी कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा।
आई एम ए की राजस्थान शाखा के संयुक्त सचिव डॉ राहुल हर्ष ने कहा कि हम आयुर्वेद के विरोध में नही है किंतु इस कदम को आयुर्वेद के लिए भी हानिकारक बताया और इस कदम से आयुर्वेद मुख्य उपचार पद्धति न रहकर एक सहयोगी पद्धति बनकर रह जायेगी और आमजन को नुकसान उठाना पड़ेगा।