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संत ने भगति के कार्यक्रमों के माध्यम से मानवीय प्रेम, समता और नैतिक आचरण का संदेश आमजन तक पहुंचाया 

बीकानेर। संत कंवरराम मंदिर ट्रस्ट रथखाना के तत्वावधान में 13 अप्रैल को संत कंवरराम साहिब की 134वीं जयंती रथखाना स्थित संत कंवरराम मंदिर में सिंधी सात्विक केक काट कर मनाई। संध्या पूजन-आरती के बाद दादी कलांदेवी एंड पार्टी का सत्संग कीर्तन आयोजित हुआ जिसमें देर रात्रि तक अमर शहीद संत कंवरराम जी के भजन गूंजते रहे। मनुमल सदारंगानी, सरला आहूजा के सान्निध्य में मातृशक्ति मंडली ने सिंधी लोक वाद्ययंत्रों की स्वर लहरियों के बीच सिंधी लोकगीतों पर लोगों को झुमा दिया।

इन गीतों पर सुंदर मामनानी, चंद्र, प्रेम, सतीश रीझवानी, सुगनचन्द  जी ने नृत्य प्रस्तुत किये तथा स्वयं भी भगत-गीत सुनाए। मुख्य वक्ता सुरेश केशवानी ने कहा कि  शहीद संत कंवरराम जी ने भगति के कार्यक्रमों के माध्यम से सत्य, अहिंसा, साम्प्रदायिक सौहार्द, विश्वबंधुत्व, ईशवंदना, मानवीय प्रेम, समता और नैतिक आचरण का संदेश आम और खास तक पहुंचाया। संत कंवर राम त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति, जीवन के मर्म को जानने वाले ऋषि, दया के सागर, दीन दुखियों, यतीमों और विकलांगों के मसीहा थे।

गणमान्यजनों ने सिंधी कला एवं संस्कृति में संत कंवरराम के योगदान को अमूल्य बताया। इससे पूर्व अलसभोर में मंदिर में अमर शहीद संत कंवरराम की प्रतिमा का दुग्धाभिषेक कर नववस्त्र धारण करवाए और श्रृंगार किया गया। दिनभर विभिन्न अनुष्ठान चलते रहे। मंदिर और मंदिर चौक को विभिन्न फूल मालाओं, रंगबिरंगी रोशनी व फर्रियों से सजाया गया था।

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