आयुर्वेद से करते हैं रोगियों के रोगों का निदान वैद्य कैलाश कुमार उर्फ किसन
हैलो बीकानेर। बीकानेर शहर की तंग गलियों में तेलीवाड़ा क्षेत्र में आयुर्वेदिक दवाओं से असंख्य लोगों के रोगों का ईलाज करने वाला एक परिवार है। लगभग तीन पीढिय़ों से वैद्य के रूप में बीकानेर को अपनी नि:स्वार्थ भाव से सेवा दे रहा यह परिवार लगभग 100 वर्षो से यह कार्य कर रहा है। वैद्य कैलाश कुमार उर्फ किसन जी बताते है कि उनके दादा वैद्य मदन असोपा व पिता वैद्य ओम प्रकाश आसोपा ने इस शहर को अपनी नि:शुल्क सेवाएं दी। वैद्य ओम प्रकाश आसोपा पहले मोहता औषघालय में वैद्य की नौकरी किया करते थे, बाद में उन्होंने नौकरी छोडकर नि:शुल्क चिकित्सालय खोला। वैद्य किसन बताते है कि लगभग 30 वर्षो तक अपने पिता वैद्य पण्डित ओम प्रकाश के सान्निध्य में आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति उन्होंने सीखी।
आजकल के जमाने में नाड़ी वैद्य बहुत कम ही रह गए है और आजकल की पीढि़ रोगों से तुरंत निजात पाना चाहती है। हैलो बीकानेर के एक पुछे गए सवाल पर वैद्य किसन बताते है उनके चिकित्सालय में सामान्य रोगों का ईलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक दवाईयों से कोई साईड इफैक्ट नहीं होता और रोग जड़ से खत्म हो जाता है। रोग को जड़ से खत्म करने के लिए समय तो लगता ही है। आकड़ा-काकड़ा (चिकनफोक्स), ओरी, लालबाई जैसे रोगों के मरिज अत्यधिक आया करते है। आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में चिकित्सालय की कभी भी छुट्टी नहीं रखी गई। वैद्य किसन बताते है कि उनके चार पुत्र है उनमें से भगवती (वैद्य किसन का पुत्र) उनसे यह शिक्षा ले रहा है।
एक रूपये के बदले मिलती है महिने भर की दवा…
वैद्य किसन बताते है कि यह प्रथा उनके पिता पण्डित ओम प्रकाश आसोपा द्वारा शुरू कि गई थी, पहले तो 25/50 पैसे ही लिया करते थे लेकिन आजकल उनका चलन राजस्थान में बंद हो गया है इसलिए एक रूपया लिया जाता है। उस प्रथा को आज दिनांक तक निभाया जा रहा है और उम्मीद है आने वाले समय में भी यहां एक रूपये जमा करवाकर एक माह तक की दवा नि:शुल्क दी जायेगी। लेकिन दवा उनके चिकित्सालय पर आकर लेनी होती है।
शहर में पेट संबंधि रोगी अधिक…
वैद्य किसन ने कहा कि बीकानेर शहर एक अलमस्त शहर है यहां की जीवन शैली अनोखी है। व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि मिलावटी चीजों के सवेन से सबसे पहले पेट खराब होता है जिससे अनेक रोगों का जन्म होता है। वैद्य कहते है जो बाजरी रोटी-राबड़ी जो खाते है वो दिर्गायु होते है।
मरीजों को वैद्य किसन पर अत्यधिक विश्वास…
हैलो बीकानेर ने जब चिकित्सालय में मरीजों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उनको पूरा विश्वास है कि वैद्य जी ही उनको रोगों से मुक्ति दिलायेगें। जिस विश्वास से रोगी वैद्य किसन से अपने रोगों के बारे में चर्चा करते है वैसे शायद ही किसी अन्य डॉक्टर से कर पाते है।
देश-विदेशों तक जाती है दवाईयां…
वैद्य किसन बताते है बीकानेर शहर के लोगों के साथ-साथ आस-पास के गांव के लोग भी अपना ईलाज करवाने चिकित्सालय में आते है। जो लोग बीकानेर से बाहर दुसरे राज्य या विदेश में रहने लग गये है। वो आज भी हमारे चिकित्सालय से अपने रोगों की दवाईयां मंगवाते है। भारत में कई राज्यों में आज भी इनकी द्वारा दवाईयां भेजी जाती है।
सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए…
वैद्य किसन ने बताया कि उनको सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए क्योंकि सरकार आम जनता के लिए भी कुछ करदे वो बहुत है। चिकित्सालय और दवाईयों के लिए आ रही समस्याओं का निवारण वो अपने स्तर पर ही कर लेते है।
हर आयु वर्ग का होता है ईलाज…
वैद्य किसन ने बताया कि गोपी कृष्ण आर्युेदिक धर्मार्थ चिकित्सालय में हर आयु वर्ग के लागों के रोगों का ईलाज किया जाता है। यहां पर बच्चे, लड़के, लडकियां,औरते, पुरूष, वृद्ध आदि सभी का ईलाज किया जाता है।
भगवान की देन है सब…
हैलो बीकानेर ने जब वैद्य किसन से पूछा कि सैकड़ों मरीजों का रोजना ईलाज करना, उनके लिए दवाईयों की व्यवस्था करना,पारिवारिक जिम्मेदारीयों का निर्वहन करना आदि कार्य कैसे कर पाते है?
इस सवाल पर वैद्य किसन का एक लाईन का जवाब मिला ‘भगवान की देन है सब…Óवैद्य किसन रोजाना अपने घर से 4-5 किमी दूर नागणेची मंदिर पैदल दर्शन करने जाया करते है।