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हैलो बीकानेर न्यूज नेटवर्क, चूरू, मदन मोहन आचार्य  सोमवार को पोकरण स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा ग्राम सेल्वी में जाड़े में मुर्गियों की देखभाल एवं प्रबंधन विषयक असंस्थागत प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसमे 21 ग्रामीण महिलाओं एवं कृषकों ने भाग लिया।

 

 

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन से अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं तो मुर्गीपालन करते समय कुछ विशेष ध्यान रखने की आवश्यधकता होती है। केन्द्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ राम निवास ढाका ने बताया की मुर्गी पालन अण्डा और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है जिनके लिए अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना होता है। मुर्गी पालन की खासियत है कि इसे कम लागत से शुरू करके इससे कमाई जल्दी शुरू की जा सकती है, क्योंकि मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियां 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती हैं।

 

 

 

उन्होंने बताया कि मुर्गियों से सर्वाधिक उत्पादन लेने हेतु 85 डिग्री से 95 डिग्री फारेनहाइट तापक्रम आवश्यक होता हैं। कार्यक्रम में उन्होंने रोगों की रोकथाम एवं बचाव पर चर्चा करते हुए कहा कि लेयर मुर्गियों में मैरिक्स रोग का टिका, दुसरे से पांचवें दिन रानीखेत का, 14 वे दिन गम्बोरो रोग का, 21 वे दिन चेचक, 28 वें दिन रानीखेत, 63 वे दिन रानीखेत बूस्टर टिका और 84 वे दिन चेचक रोग का टीकाकरण करना चाहिये।

 

 

 

जाड़ें में कम से कम 3 से 5 इंच की बिछाली मुर्गीघर के फर्श पर डालें जो की अच्छी गुणवत्ता की हो,अच्छी गुणवत्ता की बिछाली मुर्गियों को फर्श के ठंढ से बचाता है और तापमान को नियंत्रित किये रहता है। केन्द्र के प्रसार विशेषज्ञ सुनील शर्मा ने डीप लीटर पद्धति में रखी मुर्गियों के बाड़े में जो भूसा जमीन पर बिछा होता है।

 

 

 

वह सूखा होने पर परिचर्चा करते हुए बताया कि रात के समय खिड़की के पर्दे मोटे बोरे और प्लास्टिक के लगाना चाहिए, ताकि वे ठंडी हवा के प्रभाव को रोक सकें। मुर्गिशाला की लंबाई पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होनी चाहिए ताकि खासकर ठण्ड के मौसम में मुर्गीघर के अन्दर अधिक से अधिक समय तक धूप का प्रवेश हो सके।

 

 

 

सर्दियों में मुर्गियों को बार-बार शुद्ध और ताजा एवं गुनगुना पानी देते रहना चाहिए। इसके अलावा अंडा उत्पादन बरकरार रखने हेतु तथा मुर्गियों को ठंड से बचाने हेतु बाड़े में बिजली के बल्ब लगाना जरूरी हैं इसके लिए 200 वर्ग फीट जगह में 100 वाट क्षमता के चार बिजली के बल्ब लगाये जा सकते है।

 

 

 

साधारणत एक संकर मुर्गी को रोजाना 110 से 140 ग्राम दाना जरूरी होता हैं तथा मुर्गियों के दाने में प्रोटीन, ऊर्जा तथा कैल्शियम की मात्रा महत्वपूर्ण होती है। सर्दियों के महीने में चूज़ों की डिलीवरी सुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिलकुल नहीं क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है। सर्दियों में अंडे एवं मांस की खपत बढ़ जाने के कारण बाजार में इनकी कीमत अच्छी प्राप्त होती है ।

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