जनकवि हरीश भादानी की स्मृति में मधु आचार्य आशावादी की चार कृतियों का लोकार्पण
हैलो बीकानेर। जनकवि हरीश भादानी की 85वीं जयंती के मौके पर रविवार को साहित्यकार मधु आचार्य आचार्य की चार कृतियों का लोकार्पण किया गया। नट साहित्य-संस्कृति संस्थान की ओर से धरणीधर रंगमंच पर आयोजित लोकार्पण समारोह जनकवि भादानी जी की धर्मपत्नी जमुना देवी के सानिध्य समाजसेवी रामकिशन आचार्य की अध्यक्षता, जोधपुर के कवि-आलोचक डॉ.रमाकांत शर्मा के मुख्य आतिथ्य तथा मधु आचार्य आशावादी और डॉ.प्रशांत बिस्सा की मौजूदगी में कृतियों का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर डॉ.रमाकांत शर्मा ने कृतियों को श्रेष्ठ बताते हुए कहा साहित्य करुणा की कोख से जन्म लेता है। शर्मा ने कहा कि आशावादी अनुभव को अभिव्यक्ति में ढालकर सृजन करने वाले साहित्यकार है। अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी रामकिशन आचार्य ने बीकानेर की साहित्य परंपरा को प्रेरक बताते हुए कहा कि बीकानेर की साहित्य परंपरा गौरवमयी है। इस मौके पर पूर्व गृहमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए साहित्य को जीवन में श्रेष्ठता लाने का सबसे बड़ा माध्यम बताया।
हैलो बीकानेर। जनकवि हरीश भादानी की 85वीं जयंती के मौके पर रविवार को साहित्यकार मधु आचार्य आचार्य की चार कृतियों का लोकार्पण किया गया। नट साहित्य-संस्कृति संस्थान की ओर से धरणीधर रंगमंच पर आयोजित लोकार्पण समारोह जनकवि भादानी जी की धर्मपत्नी जमुना देवी के सानिध्य समाजसेवी रामकिशन आचार्य की अध्यक्षता, जोधपुर के कवि-आलोचक डॉ.रमाकांत शर्मा के मुख्य आतिथ्य तथा मधु आचार्य आशावादी और डॉ.प्रशांत बिस्सा की मौजूदगी में कृतियों का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर डॉ.रमाकांत शर्मा ने कृतियों को श्रेष्ठ बताते हुए कहा साहित्य करुणा की कोख से जन्म लेता है। शर्मा ने कहा कि आशावादी अनुभव को अभिव्यक्ति में ढालकर सृजन करने वाले साहित्यकार है। अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी रामकिशन आचार्य ने बीकानेर की साहित्य परंपरा को प्रेरक बताते हुए कहा कि बीकानेर की साहित्य परंपरा गौरवमयी है। इस मौके पर पूर्व गृहमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए साहित्य को जीवन में श्रेष्ठता लाने का सबसे बड़ा माध्यम बताया।
समारोह में शायर आनंद वि.आचार्य ने जनकवि हरीश भादानी के साहित्यिक जीवन पर अपनी बात रखी। समारोह में साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने अपनी सृजन यात्रा को साझा करते हुए कहा कि सृजन भीतर के भावों को विस्तार देते हुए सहजता के संस्कार प्रदान करता है। इस दौरान साहित्यकार डॉ.नीरज दइया और रंगकर्मी सुरेश हिन्दूस्तानी ने लोकार्पित कृतियों पर पत्रवाचन किया। इस मौके पर अतिथियों के साथ ही विद्यासागर आचार्य, पूर्व महापौर भवानी शंकर शर्मा और डॉ.नंदकिशोर आचार्य का सम्मान किया गया। समारोह के प्रारंभ में धीरेंद्र आचार्य ने स्वागत किया। समापन पर अनुराग हर्ष ने आभार जताया। समारोह का संचालन हरीश बी.शर्मा ने किया। समारोह में नगर के अनेक गणमान्यजन मौजूद थे। फोटो : राजेश छंगाणी