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वेटरनरी विश्वविद्यालय का 8वां स्थापना दिवस
ग्लोबल भूमिका के लिए तैयार राजुवास

हैलो बीकानेर, । वेटरनरी विश्वविद्यालय का 8वां स्थापना दिवस समारोह गुरूवार को समारोह पूर्वक आयोजित किया गया। वेटरनरी ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. छींपा ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के अल्पकाल में ही कीर्तिमान स्थापित कर देश के विश्वविद्यालयों की अग्रिम पंक्ति में स्थान बनाया है। इसका श्रेय विश्वविद्यालय के कुलपति की दूरदृष्टि तथा कर्मचारियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत को है।

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उन्होंने कहा कि मूक प्राणियों की चिकित्सा दुरूह और पुण्य का कार्य है अतः पशुचिकित्सक बधाई के पात्र हैं। राज्य का बीकानेर जिला भाग्यशाली है जहां कृषि, पशुपालन और एकेडेमी के तीनों विश्वविद्यालय मौजूद हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि वेटरनरी विश्वविद्यालय अपने कार्यों की बदौलत देश और दुनिया में विशिष्ट मुकाम हासिल करेगा। समारोह के विशिष्ट अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने कम समय में विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के नए सोपान स्थापित किए हैं जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हैं। उन्होंने इसके लिए टीम राजुवास को बधाई देते हुए कहा कि स्थापना दिवस प्रगति का संकल्प लेने का दिन है। हमें विकास की रफ्तार को बनाए रखकर जन आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाले अनुसंधान पर ध्यान देना चाहिए।

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विश्वविद्यालय को प्रशिक्षण, प्रसार, अनुसंधान और शिक्षा को राज्य की पशुधन अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए समर्पित कर राज्य के सर्वागीण विकास में अपना योगदान करना है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद नवीन तकनीकी और अनुसंधान कार्यों की बदौलत राज्य में दूध और ऊन उत्पादन बढ़ा है और अंडों का उत्पादन दोगुना से भी ज्यादा हो जाना पशुधन संपदा के सकारात्मक परिणामों को दर्शाता है। वेटरनरी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के सहयोग से भ्रूण प्रत्यारोपण कार्य शुरू कर थारपारकर नस्ल की गाय में पहला भ्रूण प्रत्यारोपण कर सफलता प्राप्त की है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ब्रॉयलर स्ट्रेन भी तैयार किया है। राज्य की छह स्वदेशी गौवंश की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए हैरिटेज जीन बैंक योजना के साथ ही पशु पोषण, प्रशिक्षण और भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के उपयोग से दुग्ध क्रांति लाई जा सकेगी। पशुधन अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से भेड़ और बकरियों में भी उन्नत अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा जिलों में स्थित अपने अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से राज्य में 25 हजार किसानों-पशुपालकों को पशुपालन आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया है। इस वर्ष 35 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा प्रारंभ की गई टोल-फ्री हैल्पलाइन की लोकप्रियता के मद्देनजर 100 लाइन की पी.आर.आई. कनेक्शन दूरसंचार विभाग से लिया गया है। इससे देश-विदेश में कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा सुलभ हो गई है। पशुपालकों के हित में रिलायन्स फाउन्डेशन के सहयोग से “मोबाइल वाईस मैसेज“ सेवा को भी शीघ्र शुरू किया जाएगा। कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने वेटरनरी विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर “सभी क्षेत्रों में वृद्धिः सात साल की यात्रा“ विषय पर अपने विशेष व्याख्यान में कहा कि अपनी स्थापना के सात साल के अल्पकाल में विश्वविद्यालय ने चहुँमंखी विकास को तरजीह देकर कार्य किया जिससे यह देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में अपना उच्च स्थान बनाने में कामयाब हो सका। इसमें खास बात यह रही कि विश्वविद्यालयों की 2016 की नेशनल रैंकिंग के मुकाबले 2017 में एक वर्ष की अवधि में 29 विश्वविद्यालयों से आगे निकलकर 68वीं रैंकिंग प्राप्त की ह,ै इससे विश्वविद्यालय द्वारा की गई वृद्धि दर की गति का अंदाजा लगाया जा सकता है। निजी क्षेत्र के संस्थानों द्वारा की गई राष्ट्रीय रैंकिंग में भी इस वेटरनरी विश्वविद्यालय की इस बढ़त को मान्यता मिली है। जिसमें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से भी आगे और देश के पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान दिया गया है। वेटरनरी विश्वविद्यालय ने राज्य के 17 जिलों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है। पशुचिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में राज्य और देश के कुशल मानव संसाधन को उपलब्ध रखने का महत्ती कार्य 3 उच्च शिक्षा और अनुसंधान के महाविद्यालयों और 70 पशुपालन डिप्लोमा संस्थान के माध्यम से किया जा रहा है। वर्तमान में विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष पशुचिकित्सा शिक्षा की पीएच.डी. में 135, स्नातकोत्तर में 228, स्नातक स्तर पर 1600 और पशुपालन डिप्लोमा में 7 हजार छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। विश्वविद्यालय का बजट 2010 में 14 करोड़ से दस गुणा बढ़कर वर्ष 2016-17 में 135 करोड़ हो गया है। कुलपति प्रो. गहलोत ने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय 2022-23 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को सामने रखकर नवीन तकनीक, प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करेगा। हमारा प्रयास होगा कि यह देश और दुनिया के सिरमौर विश्वविद्यालयों में शामिल हो। समारोह के प्रारंभ में वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. जी.एस. मनोहर ने स्वागत भाषण में कुलपति प्रो. गहलोत के नेतृत्व में हुई प्रगति के लिए सभी का साधुवाद किया। विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक श्री अरविन्द बिश्नोई ने भी सुद्दढ़ आर्थिक स्थिति की जानकारी दी। अतिथियों ने विश्वविद्यालय के “न्यूज लैटर“ के ताजा अंक का विमोचन किया। कुलसचिव श्री बी.आर. मीणा ने सभी का आभार जताया। समारोह के आयोजन सचिव प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. राजेश कुमार धूड़िया थे। कुलपति प्रो. गहलोत ने सभी डीन-डायरेक्टर को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के प्रमाण पत्र के फ्रेम प्रदान किए। समारोह में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, कर्मचारी और फैकल्टी सदस्यों, गौशालाओं के प्रबंधकों और गणमान्य लोगों ने शिरकत की।
निबन्ध प्रतियोगिता के विजेता पुरस्कृत
कुलपति प्रो. गहलोत ने स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। अंग्रेजी निबंध में गरिमा कालरा प्रथम, लोकेश जनागल द्वितीय और निष्ठा यादव तृतीय तथा हिन्दी निबंध में मयंक कुमार अग्रवाल प्रथम और कविता कुमारी द्वितीय रहे।

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