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जयपुर hellobikaner.com भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मुख्यालय के निर्देश पर जयपुर नगर द्वितीय इकाई द्वारा आज कार्यवाही करते हुये सुरेन्द्र सिंह अधिशासी अभियंता एवं गुलाब सिंह सहायक अभियंता राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, जयपुर को परिवादी से 30 हजार रूपये की रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

 

 

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक भगवान लाल सोनी ने बताया कि ए.सी.बी. की जयपुर नगर द्वितीय इकाई को परिवादी द्वारा शिकायत दी गई कि उसकी फर्म द्वारा राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड में करवाये गये निर्माण कार्यों के पूर्व में पास एवं बकाया राशि करीब 24 लाख 50 हजार रुपये के बिलों को पास करने की एवज में कुल बिल राशि का 5.50 प्रतिशत कमीशन के रूप में सुरेन्द्र सिंह अधिशासी अभियंता एवं गुलाब सिंह सहायक अभियंता राजस्थान कृषि विपणन निगम, जयपुर द्वारा 1 लाख 34 हजार रूपये की रिश्वत राशि मांगकर परेशान किया जा रहा है।

 

 

जिस पर एसीबी जयपुर के उप महानिरीक्षक पुलिस डॉ. विष्णुकान्त के सुपरवीजन में एसीबी की जयपुर नगर द्वितीय इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजपाल गोदारा के निर्देशन में शिकायत का सत्यापन किया जाकर आज उप अधीक्षक पुलिस अभिषेक पारीक एवं उनकी टीम द्वारा ट्रेप कार्यवाही करते हुये सुरेन्द्र चौधरी पुत्र अजीराम डागुर निवासी प्लॉट नं0 498, स्कीम नं० 2 अलवर हाल निवासी फ्लेट नं० 205, इंपिरियल फ्लेट्स, प्लॉट नं0 47, सिविल लाईन्स, जयपुर हाल अधिशासी अभियंता खंड ट्रिब्यूनल मार्केट राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, जयपुर एवं गुलाब सिंह पुत्र चंदन सिंह निवासी मकान नं० 21 / 197, कावेरी पथ, मानसरोवर, जयपुर हाल सहायक अभियंता राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, जयपुर को परिवादी से 30 हजार रूपये की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।

 

उल्लेखनीय है कि आरोपी सुरेन्द्र चौधरी अधिशासी अभियंता के जयपुर स्थित फ्लेट की तलाशी में 5 लाख रुपये की संदिग्ध नगदी भी बरामद हुई है। इसी प्रकार आरोपी गुलाब सिंह सहायक अभियंता के निवास की तलाशी में भी 5 लाख 30 हजार रुपये की संदिग्ध नगदी एवं लाखों रुपये बाजार मूल्य के चल-अचल सम्पत्ति के दस्तावेज भी बरामद हुये हैं। दोनों आरोपियों के विभिन्न ठिकानों पर एसीबी की टीमों द्वारा सघन तलाशी जारी है।

 

एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एम.एन. के निर्देशन में आरोपियों पूछताछ जारी है। एसीबी द्वारा मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जायेगा ।

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