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हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com,                                 बीकानेर।  श्री डूंगरगढ़ धर्मचन्द सारस्वत दहेज न लेने की सोच को सोच तक सीमित न रखते हुए एक विचारधारा बनानी होगी, तभी हमारी आने वाली पीढ़ी इस अभिशाप से मुक्ति पा सकेगी। इस सोच को धरातल पर उतारते हुए बिना दहेज के कर आमजन को इस कुप्रथा को मिटाने का संदेश दिया है। श्रीडूंगरगढ़ के बिग्गा बास रामसरा गांव में एक शादी के दौरान दूल्हे व दुल्हन पक्ष की आपसी रजामंदी से बिना दहेज के शादी की है। शादियों में हर साल फिजलूखर्ची और दहेज लेने-देने का सिलसिला बढ़ रहा है। ऐसे माहौल में समाज को आइना दिखाते हुए इस फैसले की हर तरफ सराहना हो रही है।

बिग्गा बास निवासी कुनणाराम तावनीया के बेटे रामदयाल की शादी नापासर गांव के लालचंद सारस्वा की पुत्री चित्रा के साथ शुक्रवार को सम्पन्न हुई थी। शनिवार को दुल्हन की बिदाई से पूर्व समुठनी की रस्म के दौरान शादी की रस्में शुरू हुई तो दुल्हन व दूल्हा पक्ष द्वारा दहेज के खिलाफ पूर्व से ही तय सोच के अनुसार एक रुपया व नारियल का लेनदेन कर शादी की रस्म सम्पन्न करवाई। दोनो पक्षों द्वारा की गई इस सार्थक पहल की प्रशंसा शादी समारोह में मौजूद हर व्यक्ति ने की। खारड़ा युवा विकास संस्था के अध्यक्ष दामोदर सारस्वत ने बताया कि भारत के निर्माण के लिए दहेज प्रथा का खात्मा होना जरूरी है इसलिए वर पक्ष व वधु पक्ष ने शादी को बिना दहेज के करने का फैसला लिया व समाज और क्षेत्र को एक बहुत अच्छा संदेश देने का प्रयास किया।

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