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हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com,                                      रामगढ़।  राजस्थान में हो रहे विधानसभा उपचुनावों के मद्देनजर अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने आरक्षण समाप्त करने को लेकर कांग्रेस द्वारा किए जा रहे प्रचार को भ्रामक बताते हुए कहा कि कांग्रेस चाहती है कि अनुसूचित जाति का आरक्षण समाप्त करके उसको मुसलमानों को दिया जाये। श्री मेघवाल ने शुक्रवार को यहां दलित समाज को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1961 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आरक्षण समाप्त करने को लेकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था कि आरक्षण के कारण दूसरे दर्जे के नागरिक पैदा होते हैं,आरक्षण से योग्यता मरती है। यह वह हवा में नहीं बोल रहे यह दर्ज है। राजीव गांधी ने एक समाचार पत्र को दिये साक्षात्कार में कहा था कि आरक्षण से बुद्धू पैदा होते हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1990 में वीपी सिंह प्रधानमंत्री थे तब राजीव गांधी नेता प्रतिपक्ष थे। उन्होंने आरक्षण को लेकर कहा था कि पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए इसको लेकर उन्होंने दो घंटा 43 मिनट भाषण दिया था। श्री मेघवाल ने कहा कि अब जनता यह बताए आरक्षण के खिलाफ कौन है। हाल ही में सितम्बर में राहुल गांधी अमरीका की एक यूनिवर्सिटी में कहते हैं कि अगर उन्हें अवसर मिला तो वह आरक्षण समाप्त कर देंगे। नेहरू, राजीव गांधी और राहुल गांधी सब आरक्षण के खिलाफ बोलते हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कहते हैं कि यह आरक्षण को खत्म करेंगे। ये लोग भ्रम फैलाते हैं, लेकिन इनके भ्रम में नहीं आना।


उन्होंने कहा कि मुंबई उत्तर से श्री अंबेडकर चुनाव जीत रहे थे, लेकिन उन्होंने वहां जाकर श्री अंबेडकर को चुनाव हरवाया। उस समय उन्होंने श्रमिकों से कहा था कि आपको दो वोट देने का अधिकार है आप दो वोट दें। इसके बाद  अंबेडकर 14 हजार 374 मतों से चुनाव हार गए। उनके 74 हजार 333 मत रद्द हुए थे। कांग्रेस नहीं चाहती थी कि श्री अंबेडकर चुनाव जीतें और लोकसभा में पहुंचें। डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा पर चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि उपचुनाव को लेकर वह खुद गांव-गांव में घूम रहे हैं। जनता इस बार मूड बना चुकी है और जनता भाजपा को जिताकर भेजेगी। चौरासी सीट पर दो बार से वर्चस्व को लेकर उन्होंने कहा कि कभी किसी राजनीतिक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहता है। मतदाता स्थिर नहीं रहता है। जब तक उनका काम होता है तो ठीक है। जब उनका काम नहीं होगा तो छोड़ देता है।

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