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बीकानेर,। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने बुलाकी शर्मा को वर्ष 2016 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार नई दिल्ली के कॉपरनिकस मार्ग स्थिति कमानी सभागर में राजस्थानी भाषा की उल्लेखनीय कृति ‘मरदजात अर दूजी कहाणियां’ कृति के लिए अर्पित किया। शर्मा को सम्मान स्वरूप एक लाख रुपए, शॉल, श्रीफल, माला और मोमेंटो प्रदान किया गया। साहित्य अकादेमी प्रतिवर्ष 24 भारतीय भाषाओं की कृतियों को पुरस्कृत करती हैं जिसके अंतर्गत गत वर्ष राजस्थानी भाषा के लिए यह पुरस्कार बीकानेर के ही साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ को प्रदान किया गया था।

Bulaki Sharma ko Purskar 2017 ND

इस बार के समारोह में मुख्य अतिथि प्रख्यात भौतिक विज्ञानी एवं मराठी लेखक जयंत विष्णु नारळीकर ने सभा को संबोधित किया। उपाध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार एवं सचिव के श्रीनिवासराव साहित विसाल जन समूह के बीच 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को पुरस्कृत करते हुए अकादमी अध्यक्ष तिवारी ने कहा कि इसे पुरस्कार की बजाय सम्मान समारोह कहा जाना चाहिए। उन्होंने लेखक के कारणों और उसके संघर्ष की बात करते हुए कहा कि आत्मकेंद्रित व्यक्ति लेखक नहीं हो सकता। लेखक को तो भाषा का सृजनात्मक उपयोग करते हुए स्वयं और अन्य की स्वीकृति अर्जित कर समाज को संस्कारित करना होता है। नई दिल्ली में बुलाकी शर्मा के सम्मान समारोह में बीकानेर से साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’, राजेन्द्र जोशी, नवनीत पाण्डे, श्याम महर्षि, रूप किशोर तिवारी आदि अनेक मित्र और उनके पारिवारिक जन उपस्थित थे।

कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने बताया कि साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत पुस्तक ‘मरदजात अर दूजी कहाणियां’ बुलाकी शर्मा का दूसरा राजस्थानी कहानी संग्रह है। इससे पहले प्रकाशित संग्रह ‘हिलोरो’ को राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादेमी बीकानेर द्वारा शिवचंद भरतिया गद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1978 से निरंतर राजस्थानी और हिंदी में सक्रिय लेखन करने वाले बुलाकी शर्मा के हिंदी में भी दो कहानी संग्रह, चार व्यंग्य संग्रह और आठ बाल साहित्य की पुस्तकें प्रकाशित हुई है। शर्मा ने अकादमी की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ के अलावा ‘राजस्थानी की प्रतिनिधि कहानियां’ व राजस्थान शिक्षा विभाग के शिक्षकों की रचनाओं का संग्रह ‘अरू-भरू’ आदि अनेक कृतियों का संपादन और अनुवाद कार्य भी किया है। अनेक संस्थाओं से सम्मानित पुरस्कृत शर्मा की अनेक रचनाओं का विविध भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।

 

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