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बीकानेर hellobikaner.com केन्द्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की वेबलाइन साहित्य श्रृंखला ‘युवा साहिती कार्यक्रम’ के तहत सोमवार को राजस्थानी के तीन युवा कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। बीकानेर के युवा कवि हरि शंकर आचार्य ने ‘कूण मदारी, कूण बांदरो, कूण नचावे, नाचे कूण’ और ‘चै‘रे मांय लुकावै चै‘रो, दीठ फूटरी निजरां पैणो’ के माध्यम से कटाक्ष किया।

वहीं ‘काचर, बोर, मतीरा गावे, केर-सांगरी हरख मनावे’ और ‘कण-कण रो सिणगार रचावे, जण-जण रो आ मांण बधावे’ के माध्यम से राजस्थानी भाषा की खूबियों के बारे में बताया। वहीं लूणकरनसर के मदन गोपाल लढ्ढा ने स्त्री जीवन के संघर्ष को रूपायित करते हुए ‘तुरपाई करती लुगाई/जीवण रे पख में, अेक लूंठो सत्याग्रह है’ प्रस्तुत की। उन्होंने ‘एकायंत’ शीर्षक कविता से जीवन के उधेड़बुन और ‘कैंसर एक्सप्रेस’ के माध्यम से कैंसर के वीभत्स दृश्य का चित्रण किया।

उन्होंने ‘म्हारै पाती री चिंतावां’ अर ‘चीकण दिन’ काव्य संग्रह से रचनाएं प्रस्तुत की। उदयपुर के कवि डाॅ. राजेन्द्र सिंह बारहठ ने वीर रस से ओतप्रोत महाराणा प्रताप एवं हळदीघाटी शीर्षक रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने ‘म्हारै आंगणे/आजादी रा उच्छब सारू/आजादी री भाव भूमि री जाजमां/धोरां मगरां माथे/ढाळवा री जूनी रीत’ के माध्यम से अपनी बात रखी। वहीं ‘म्हारा आंगणा री धूड़, आजादी री धूणी री, बळबळती भोभर छे’ के साथ कविता का समापन किया। ‘गांधी बाबो’ शीर्षक कविता के माध्यम से उन्होंने महात्मा गांधी के सिद्धांत और आज के दौर में इनकी प्रासंगिकता के बारे में बताया। साहित्य अकादमी के सहायक सम्पादक ज्योति कृष्ण वर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने युवा साहिती कार्यक्रम के बारे में बताया तथा रचनाकारों का परिचय प्रस्तुत किया।

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